उद्योगपतियों को मिले बैंकिंग लाइसेंस, जानिए इसको लेकर शक्तिकांत दास ने क्या कहा

नई दिल्ली
देश के उद्योगपतियों को बैंक चलाने के विचार पर पिछले दिनों काफी बवाल हुआ था। आज उसको लेकर रिजर्व बैंक के गवर्नर ने बयान जारी किया है। उन्होंने साफ-साफ कहा है कि औद्योगिक घरानों (corporate houses’ entry into banking) को अपना बैंक शुरू करने की अनुमति दिए जाने का सुझाव रिजर्व बैंक का नहीं है। एक आंतरिक समिति ने यह सुझाव दिया है। इस पर और अन्य सुझावों पर केन्द्रीय बैंक सार्वजनिक स्तर पर सुझाव और टिप्पणियां लेने के बाद ही कोई फैसला करेगा।

RBI के आंतरिक कार्य समूह ने दी अनुमति
रिजर्व बैंक के एक आंतरिक कार्य समूह ने औद्योगिकी घरानों को खुद का बैंक शुरू करने की अनुमति दिए जाने का सुझाव दिया है। समिति के इस सुझाव की तीखी आलोचना हुई है। विशेषज्ञों, रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर, डिप्टी गवर्नर और मुख्य आर्थिक सलाहकारों ने इसकी कड़ी आलोचना की है। उनका मानना है कि यदि ऐसा किया गया तो जमाकर्ताओं का धन जोखिम में पड़ जाएगा और कंपनियों को उनके समूह के भीतर से ही कर्ज उपलब्ध होने लगेगा।

NBFC को लेकर भी सुझाव दिया है
इस टास्क ग्रुप ने 50 हजार कराड़ रुपए से अधिक संपत्ति वाली गैर- बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को भी बैंक में परिवर्तित करने पर विचार किए जाने का सुझाव दिया है। समिति ने यह भी कहा है कि भुगतान बैंक (पेमेंट बैंक) को लघु वित्त बैंक (Small finance bank)में बदलने पर लगने वाला समय भी कम किया जाना चाहिए। आरबीआई की समिति के इन सुझावों को लेकर भी आलोचना झेलनी पड़ी है। दास ने कहा कि विशिष्ट मुद्दों पर जाने से पहले, ‘मैं स्पष्ट करना चाहूंगा कि यह आरबीआई के आंतरिक कार्य समूह की रिपोर्ट है। इसे रिजर्व बैंक का विचार अथवा फैसला नहीं माना जाना चाहिए। इस बात को स्पष्ट तौर पर समझ लिया जाना चाहिए।’

राजन, आचार्य ने की आलोचना
समिति के पांच सदस्यों में जिनमें दो सदस्य रिजर्व बैंक के केन्द्रीय बोर्ड और तीन आरबीआई के अधिकारी शामिल थे, उन्होंने स्वतंत्र रूप से काम किया और विचार विमर्श के बाद अपने विचार और सुझाव दिए हैं। दास ने कहा, ‘रिजर्व बैंक ने इन मुद्दों पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है।’ उन्होंने कहा कि किसी निर्णय पर पहुंचने से पहले रिजर्व बैंक इसमें संबंधित पक्षों और सार्वजनिक तौर पर टिप्पणियों और सुझावों को लेगा। रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन और पूर्व डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने औद्योगिक घरानों को बैंक खोलने की अनुमति दिए जाने के सुझावों की कड़ी आलोचना की है।

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