धरती पर तेजी से गिरा उल्कापिंड, न्यूयॉर्क से लेकर टोरंटो तक थर्राया

धरती के करीब से आसमानी चट्टानों के गुजरने की घटनाएं आम हैं लेकिन इनमें से कुछ ऐसी होती हैं, जो वायुमंडल में दाखिल होकर जमीन पर आ गिरती हैं। ऐसी ही एक घटना अमेरिका में बीते बुधवार को हुई, जहां दक्षिणी ओंटारियो में एक उल्कापिंड ने जोरदार धमाका कर दिया। वायुमंडल में दाखिल होने पर यह चट्टान ऐसे जल उठी कि दिन के वक्त भी आसमान में साफ दिखाई दी और उसके धमाके से जमीन से थर्रा गई।

Asteroid News: पिछले दिनों अमेरिका के न्यूयॉर्क के ऊपर से एक उल्कापिंड गुजरा जिससे आसपास का इलाका थर्रा गया। इसकी गूंज कनाडा के टोरंटो तक में सुनाई दी।

एक हफ्ते में दूसरी बार धरती पर गिरा उल्कापिंड, न्यूयॉर्क से लेकर टोरंटो तक थर्राया

धरती के करीब से आसमानी चट्टानों के गुजरने की घटनाएं आम हैं लेकिन इनमें से कुछ ऐसी होती हैं, जो वायुमंडल में दाखिल होकर जमीन पर आ गिरती हैं। ऐसी ही एक घटना अमेरिका में बीते बुधवार को हुई, जहां दक्षिणी ओंटारियो में एक उल्कापिंड ने जोरदार धमाका कर दिया। वायुमंडल में दाखिल होने पर यह चट्टान ऐसे जल उठी कि दिन के वक्त भी आसमान में साफ दिखाई दी और उसके धमाके से जमीन से थर्रा गई।

150 जगह से रिपोर्ट्स
150 जगह से रिपोर्ट्स

अमेरिकन मीटियर सोसायटी (American Meteor Society) ने मैरीलैंड, वॉशिंगटन, डीसी, वर्जीनिया, पेन्सिलवेनिया, न्यूयॉर्क, ओंटारियो और मिशिगन में उल्कापिंड देखे जाने के बारे में करीब 150 रिपोर्ट्स मिलने का दावा किया। NASA के मीटियरॉइड एन्वायरनमेंट ऑफिस के हेड बिल कुक ने बताया कि उल्कापिंड पश्चिम की ओर करीब 56,000 मील प्रतिघंटा की रफ्तार से जा रहा था जब वह हमारे वायुमंडल में दाखिल हुआ। (Photo: NOAA)

पलक झपकते ही गायब
पलक झपकते ही गायब

इसके बाद सेंट्रल न्यूयॉर्क में धरती से करीब 22 मील ऊपर यह दो हिस्सों में बंट गया जिससे सोनिक बूम पैदा हुआ। एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि यह बैंगनी और हरे रंग का चमकीला दिख रहा था और पलक झपकते ही गायब हो गया। सोशल मीडिया पर लोगों ने बताया कि आवाज इतनी तेज थी कि घर हिल गया। अमेरिकन मीटियर सोसायटी के रॉबर्ट लंसफर्ड ने कहा है कि उन्हें कोई शक नहीं है कि यह धरती के वायुमंडल में दाखिल होने वाला उल्कापिंड था, कुछ और नहीं हो सकता था।

किसी ऐस्टरॉइड का हिस्सा
किसी ऐस्टरॉइड का हिस्सा

रॉबर्ट ने बताया, ‘किसी बड़े शहर के पास ऐसा होना दुर्लभ है। आमतौर पर ये सिर्फ पानी में गिरते हैं।’ वहीं, कुक ने बताया कि वायुमंडल में दाखिल होने की उल्कापिंड की कम स्पीड से लगता है कि यह किसी ऐस्टरॉइड का बचा हुआ हिस्सा रहा होगा। खास बात यह भी है कि एक हफ्ते के अंदर उल्कापिंड की गिरने की यह दूसरी घटना पता चली है। इससे पहले जापान के एक शहर में भी bolide आ गिरा था जो कैमरे में कैद हुआ था।

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