दक्षिणी चीन सागर में ड्रैगन की बढ़ती दादागिरी के खिलाफ जापान नई तिकड़ी बना रहा है। जापानी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अगले साल मई में अमेरिका और फ्रांस की नौसेना के साथ जापान अपने एक द्वीप के नजदीक बड़े पैमाने पर युद्धाभ्यास करेगा। जापान ने इससे पहले अमेरिका और फ्रांस के साथ कोई त्रिपक्षीय युद्धाभ्यास नहीं किया है। हाल के दिनों में जापानी क्षेत्र में चीन की नेवी और एयरफोर्स की घुसपैठ भी काफी तेज हुई है।
इसलिए ईस्ट चाइना सी में उतरेंगे ये तीन देश
सैंकेई न्यूजपेपर की रिपोर्ट के अनुसार, यह युद्धाभ्यास जापान के निर्जन द्वीपों में से एक पर समुद्री और जमीनी इलाकों में किया जाएगा। इस दौरान तीनों देशों की नौसेना प्राकृतिक आपदा के दौरान राहत और बचाव कार्य की तैयारियों को जाचेंगी। हालांकि, विशेषज्ञों ने आशंका जताई है कि इसका प्रमुख उद्देश्य चीन के खिलाफ रक्षात्मक तैयारियों को बढ़ाना है।
चीन को सख्त संदेश देना है जापान का मकसद
जापानी मीडिया में दावा किया गया है कि इस संयुक्त अभ्यास का उद्देश्य पूर्वी चीन सागर में जापानी नियंत्रित द्वीपों का दावा करना है। हालांकि, जापान का रक्षा मंत्रालय में इस अभ्यास को लेकर कोई आधिकारिक बयान नहीं जारी किया है। वहीं, फ्रांसीसी नौसेना के प्रमुख एडमिरल पियरे वांडियर ने एक इंटरव्यू में कहा कि हम इस क्षेत्र में अपनी उपस्थिति को दिखाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि इससे जापान-फ्रांस सहयोग का संदेश भी जाएगा।
द्वीपों को लेकर जापान से भिड़ा चीन
चीन और जापान में पूर्वी चीन सागर में स्थित द्वीपों को लेकर आपस में विवाद है। दोनों देश इन निर्जन द्वीपों पर अपना दावा करते हैं। जिन्हें जापान में सेनकाकू और चीन में डियाओस के नाम से जाना जाता है। इन द्वीपों का प्रशासन 1972 से जापान के हाथों में है। वहीं, चीन का दावा है कि ये द्वीप उसके अधिकार क्षेत्र में आते हैं और जापान को अपना दावा छोड़ देना चाहिए। इतना ही नहीं चीन की कम्युनिस्ट पार्टी तो इसपर कब्जे के लिए सैन्य कार्रवाई तक की धमकी दे चुकी है।
जापानी नेवी करती है इन द्वीपों की रखवाली
सेनकाकू या डियाओस द्वीपों की रखवाली वर्तमान समय में जापानी नौसेना करती है। ऐसी स्थिति में अगर चीन इन द्वीपों पर कब्जा करने की कोशिश करता है तो उसे जापान से युद्ध लड़ना होगा। हालांकि दुनिया में तीसरी सबसे बड़ी सैन्य ताकत वाले चीन के लिए ऐसा करना आसान नहीं होगा। पिछले हफ्ते भी चीनी सरकार के कई जहाज इस द्वीप के नजदीक पहुंच गए थे जिसके बाद टकराव की आशंका भी बढ़ गई थी।