12 दिन से डटे हुए हैं किसान, मौका दिखा तो तब चुप रहे नेता अब मार रहे पलटी

नई दिल्ली
कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन (Kisan Andolan) का समर्थन कर रहे कई दलों ने वक्त के साथ पलटी मारी है। फिलवक्त किसानों के साथ नजर आ रहे शरद पवार (Sharad Pawar News) ने बतौर कृषि मंत्री कृषि उत्पाद विपणन समिति (APMC) ऐक्ट में बदलाव की वकालत कर चुके थे। वहीं, अभी किसान आंदोलन के साथ खड़ी नजर आ रही शिवसेना ने कृषि कानून का लोकसभा में समर्थन किया था। इधर, किसानों के समर्थन नरेंद्र मोदी सरकार की घेरेबंदी बढ़ने के बाद अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) भी ऐक्टिव हुए 8 दिसंबर को होने वाले भारत बंद के समर्थन में यूपी में विरोध करने का ऐलान कर दिया है।

एक वक्त बीजेपी ने भी किया था विरोध
दरसल, किसानों के आंदोलन में राजनीतिक दलों के मौका देख स्टैंड चेंज करना नया नहीं है। यूपीए सरकार के वक्त बीजेपी ने किसानों के लिए बनने वाले कानून का जबरदस्त विरोध किया था। लेकिन बाद में बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने कृषि कानून को संसद से पास करवा लिया था।

शिवसेना ने बिल का लोकसभा में किया था समर्थन
कुछ समय पहले तक एनडीए की साझेदार रही शिवसेना ने कृषि कानून का लोकसभा में समर्थन किया था। हालांकि, शिवसेना ने इस कानून का राज्यसभा में विरोध करने का फैसला किया था। फिलहाल महाराष्ट्र में कांग्रेस और एनसीपी के साथ राज्य सरकार चला रही शिवसेना ने किसानों के 8 दिसंबर के भारत बंद का समर्थन किया है। शिवसेना नेता संजय राउत (Sanjay Raut News) ने बंद का समर्थन करते हुए ट्वीट किया, ‘देश के किसानों द्वारा पुकारे गए राष्ट्रव्यापी बंद को शिवसेना का समर्थन! किसान अन्नदाता हैं,इसलिए उनके प्रति हमारी नैतिक जिम्मेदारी के नाते देश की जनता को भी किसानों के बंद में स्वेच्छा से हिस्सा लेना चाहिए। शिवसेना किसानों की मांगों और 8 दिसंबर के भारत बंद में उनके साथ है। जय हिंद!’

पवार ने किया था APMC में बदलाव का समर्थन, अब पलटे
पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने बतौर केंद्रीय कृषि मंत्री राज्यों के मुख्यमंत्रियों से कृषि उत्पाद विपणन समिति (APMC) कानून में संशोधन करने को कहा था जिससे निजी क्षेत्र महत्वपूर्ण भूमिका निभा सके। पवार ने 2010 में दिल्ली की तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को लिखे पत्र में कहा था कि देश के ग्रामीण इलाके में विकास, रोजगार और आर्थिक समृद्धि के लिए कृषि क्षेत्र को अच्छी तरह संचालित बाजारों की जरूरत होगी। राज्य APMC कानून में संशोधन की अपेक्षा जताते हुए उन्होंने पत्र में लिखा, ‘इसके लिए कोल्ड स्टोरेज समेत विपणन ढांचे में बड़े निवेश की जरूरत होगी। इसके लिए निजी क्षेत्र की भागीदारी जरूरी है जिसके लिए एक उचित नियामक तथा नीतिगत माहौल चाहिए होगा।’ इसी तर्ज पर उन्होंने मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को लिखे पत्र में खेतों से लेकर उपभोक्ताओं तक विपणन के ढांचे में निवेश की जरूरत पर जोर देते हुए कहा था कि निजी क्षेत्र को इस संबंध में अहम भूमिका निभानी होगी।

कांग्रेस ने भी किया था कृषि कानून का समर्थन
कृषि कानून (Krishi Kanoon) के विरोध में किसान आंदोलन का आज भले ही कांग्रेस समर्थन कर रही हो लेकिन जब यूपीए-2 सत्ता में थी तो संसद में कांग्रेस ने किसानों के लिए ऐसे ही कानून का समर्थन किया था। सदन में तत्कालीन केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) ने कहा था कि किसानों को उसकी फसल का उचित मूल्य मिलना जरूरी है। 4 दिसंबर 2012 के लोकसभा की कार्यवाही के दौरान के वायरल वीडियो में सिब्बल सदन में किसानों की फसल के मार्केट में बेचने को लेकर बयान दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि ये स्टडी की गई है कि बेचारे किसान का जो माल मार्केट में बिकता है उसका केवल 15-17 प्रतिशत किसान को जाता है, बाकी बिचौलियों को चला जाता है। विपक्ष के नेता और विपक्ष दलों को ये तय करना है कि वे किसान के साथ हैं या बिचौलिए के साथ।

किसान आंदोलन पर अभी तक चुप बैठे अखिलेश ने भी मारी पलटी
पिछले कुछ वक्त तक किसान आंदोलन पर चुप बैठे एसपी चीफ अखिलेश यादव ने भी अब किसान आंदोलन का समर्थन करने का ऐलान कर दिया है। किसानों के समर्थन में अखिलेश यादव ने किसान यात्रा निकालने का ऐलान किया था। सोमवार को उन्होंने ट्वीट किया, ‘कदम-कदम बढ़ाए जा, दंभ का सर झुकाए जा। ये जंग है जमीन की, अपनी जान भी लगाए जा।’

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