पिछले करीब साल भर से कोरोना का कहर झेल रही दुनिया को वैक्सीन से उम्मीदें हैं। कई टीके आ गए हैं और रेगुलेटरी अप्रूवल की प्रक्रिया पूरी की जा रही है। भारत में भी तीन-चार कोविड टीके उपलब्ध कराने की कवायद चल रही है। मगर इस बीच सोशल मीडिया से लेकर नुक्कड़ों तक, वैक्सीन को लेकर भ्रामक बातें, मनगढ़ंत किस्से फैलाए जा रहे हैं। एक धड़ा ऐंटी-वैक्सीन वालों का भी है जो ब्लॉग्स, सोशल मीडिया पर वीडियोज के जरिए लोगों को टीके के खिलाफ भड़काते हैं। भारत में वैक्सीन को लेकर भ्रामक सूचनाओं का जाल अभी उतना नहीं फैला है, लेकिन झूठे अनुभवों का सहारा लेकर इसकी बड़े पैमाने पर शुरुआत जरूर कर दी गई है। यूट्यूब, टेलिग्राम, ट्विटर, वॉट्सऐप पर तरह-तरह की सूचनाओं और दावों की भरमार है, मगर उनका सच क्या है? आइए एक्सपर्ट्स से ही जानते हैं।
Covid-19 vaccine myths spreading in India: देश में भले ही कोरोना वायरस की किसी वैक्सीन को अभी तक मंजूरी न मिली हो, मगर उसे लेकर झूठ फैलाने का सिलसिला जोर पकड़ चुका है।
पिछले करीब साल भर से कोरोना का कहर झेल रही दुनिया को वैक्सीन से उम्मीदें हैं। कई टीके आ गए हैं और रेगुलेटरी अप्रूवल की प्रक्रिया पूरी की जा रही है। भारत में भी तीन-चार कोविड टीके उपलब्ध कराने की कवायद चल रही है। मगर इस बीच सोशल मीडिया से लेकर नुक्कड़ों तक, वैक्सीन को लेकर भ्रामक बातें, मनगढ़ंत किस्से फैलाए जा रहे हैं। एक धड़ा ऐंटी-वैक्सीन वालों का भी है जो ब्लॉग्स, सोशल मीडिया पर वीडियोज के जरिए लोगों को टीके के खिलाफ भड़काते हैं। भारत में वैक्सीन को लेकर भ्रामक सूचनाओं का जाल अभी उतना नहीं फैला है, लेकिन झूठे अनुभवों का सहारा लेकर इसकी बड़े पैमाने पर शुरुआत जरूर कर दी गई है। यूट्यूब, टेलिग्राम, ट्विटर, वॉट्सऐप पर तरह-तरह की सूचनाओं और दावों की भरमार है, मगर उनका सच क्या है? आइए एक्सपर्ट्स से ही जानते हैं।
वैक्सीन को लेकर कैसी-कैसी बातें?
यूट्यूब पर बिस्वरूप रॉय चौधरी नाम के एक शख्स ने वैक्सीन के खिलाफ कई वीडियोज बनाए हैं। एक में वह कहता है, ‘अगर आपको कोई वैक्सीन लेने के लिए प्रभावित करे तो वह आपकी जिंदगी और संपत्ति खत्म कराने वाले ग्रुप का हिस्सा है।’ वैक्सीन में जहरीले पदार्थ होने के दावे भी खूब वायरल हैं। मुंबई में रहने वाली 47 साल की निशा कहती हैं कि उनकी फैमिली में कोई वैक्सीन नहीं लेगा क्योंकि ‘यह काफी खतरनाक है।’
दावा: वैक्सीन में पारा, एल्युमिनियम जैसी खतरनाक धातुएं हैं
सच:
इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस (IIS) में मॉलिक्यूलर बायोफिजिक्स के प्रोफेसर राघवन वरदराजन के अनुसार, कुछ वैक्सीन में एल्युमिनियम सॉल्ट का यूज एडजुवेंट (इम्युन रेस्पांस बढ़ाने के लिए मिलाए जाने वाले एडिटिव्स) के तौर पर होता है, लेकिन मेटल का नहीं। पुरानी वैकसीन में थिमरोसॉल एक यौगिक हुआ करता था जिसमें पारा होता था। दोनों का इस्तेमाल कई टीकों में किया जा चुका है लेकिन नुकसान के सबूत नहीं हैं। कोविड के टीकों में थिमरोसॉल नहीं है।
दावा: वैक्सीन में सुअर और बंदरों के टिश्यूज हैं
सच:
प्रोफेसर राघवन के अनुसार, यह बिल्कुल मनगढ़ंत बात है। टीकों में किसी सुअर या बंदर या फिर इंसान के फीटल टिश्यूज नहीं होते।
दावा: वैक्सीन से बच्चों की सेहत खराब होती है
सच:
वैक्सीन बच्चों के लिए जीवन-रक्षक होती हैं। खतरे के मुकाबले फायदे का प्रतिशत काफी ज्यादा है। कई स्टडीज में पाया गया है कि MMR वैक्सीन और ऑटिज्म में कोई कनेक्शन नहीं है।
दावा: फ्लू की तरह वैक्सीन आने तक कोरोना खत्म हो जाएगा
सच:
इन्फ्लुएंजा में म्यूटेशन SARS-CoV-2 के मुकाबले काफी ज्यादा होता है। अभी तक वायरस के सरफेज प्रोटीज का एक खास म्यूटेशन ही हुआ है, लेकिन ऐसा कोई सबूत नहीं है कि इससे वैक्सीन का असर कम होगा।
दावा: वैक्सीन सुरक्षित नहीं क्योंकि जल्दबाजी में बनीं
सच:
प्रोफेसर राघवन के अनुसार, ट्रायल्स जल्दी हुए लेकिन सेफ्टी से समझौता के सबूत नहीं हैं। कुछ ऐसे दुर्लभ साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं जो शायद फेज 3 ट्रायल्स में पकड़ में न आएं। यह तभी पता चल पाएगा जब वैक्सीन का लाइसेंस हो जाए और उसे बड़े पैमाने पर लगाया जाए। लेकिन इसे टीकाकरण की राह में रुकावट की तरह नहीं देखा जाना चाहिए क्योंकि समाज को खतरे से कहीं ज्यादा फायदे हैं।
दावा: mRNA वैक्सीन कर सकती है DNA से छेड़छाड़
सच:
यह पहली बार है जब mRNA टीकों का इंसानों पर टेस्ट किया जा रहा हो। क्लिनिकल ट्रायल्स में कोई खतरे वाली बात सामने नहीं आई है। शरीर में डाले जाने वाले mRNA के जरिए वही प्रोटीन्स बनते हैं जो किसी वायरल इन्फेक्शन में बनते हैं। इंजेक्शन के मुकाबले टीकाकरण ज्यादा सुरक्षित है।