कहीं बारिश..कहीं सूखा: मौसम काबू में कर रहे चीन के मंसूबे पर दुनिया को क्यों है शक?

पेइचिंग
दुनिया के कई देश जलवायु परिवर्तन के खतरे से जूझ रहे हैं तो कई मौसम की मार झेल रहे हैं। वहीं टेक्नॉलजी की छलांग मारकर को ही नियंत्रित करता आ रहा है। दरअसल, ओले बरसने और बाढ़ के कारण आपदाओं से जुड़ा 70% नुकसान झेलने वाले चीन ने ‘आर्टिफिशल रेन’ यानी कृत्रिम बारिश का सहारा लिया था और आज दुनिया के दूसरे देशों को चिंता है कि कहीं ड्रैगन इसका इस्तेमाल सैन्य ताकत बढ़ाने के लिए न करने लगे।

क्या कर रहा चीन?
मौसम को नियंत्रित करने से बारिश की मात्रा ज्यादा हो जाती है, सूखे-जंगलों की आग का खतरा कम होता है और एयर क्वॉलिटी भी बेहतर होती है। इससे मैदानी इलाकों में लगीं फसलों को ओलों से नुकसान होने से बचाया जा सकता है। साल 1946 में जनरल इलेक्ट्रिक कंपनी ने पाया था कि खास परिस्थितियों में जब ड्राई आइस बादलों से मिलती है तो बारिश हो सकती है। अमेरिका में 1953 में ही 10% क्षेत्र पर ऐसे बादल बनाए जाते थे।

अमेरिका ने भी किया था
हालांकि, चिंता तब बढ़ने लगी जब वियतनाम युद्ध के दौरान अमेरिका ने इसका इस्तेमाल सामने वाली सेना पर करना शुरू कर दिया। कृत्रिम बादलों की मदद से सेनाओं को आगे बढ़ने में दिक्कत होने लगी, ऐंटी-एयरक्राफ्ट हमले खराब होने लगे। इसकी वजह से समझा गया कि इस तकनीक पर ‘पर्यावरण युद्ध’ से बचने के लिए नियम लागू करना जरूरी है और 1978 में इसके लिए कानून भी लाया गया।

तेज हुई चीन की कोशिश
चीन ने मौसम को नियंत्रित करने के लिए ज्यादा से ज्यादा रॉकेट में निवेश बढ़ा दिया। 2008 में पेइचिंग ओलिंपिक्स के दौरान चीन ने दावा किया कि उसने 1110 रॉकेट की मदद से बारिश रोक दी थी। 2015 में बारिश बनाने और ओले रोकने के प्रोग्रम 30 कंपनियों में चल रहे थे। 2017 में वेदर-मॉडिफिकेशन सिस्टम पर 17.5 करोड़ डॉलर खर्च किए गए ताकि 10% हिस्से पर बारिश लाई जा सके।

जंंग में करेगा इस्तेमाल?
इससे भले ही चीन को वाकई फायदा हो रहा हो, दूसरे, खासकर पड़ोसी देशों को चिंता होने लगी है कि कहीं कृत्रिम बारिश के कारण मौसम से छेड़छाड़ उनके यहां मॉनसून पर नकारात्मक असर न करे। जलवायु परिवर्तन पहले से ही बड़ी चुनौती बना हुआ है। वहीं, अगर मौसम की मदद से सैन्य टकराव में जीत हासिल करने की कोशिश की जाती है, तो इस आशंका को लेकर भी कई देशों को सोचना पड़ेगा।

गौरतलब है कि हाल के सालों में भारत समेत कई दक्षिण एशियाई और अमेरिका-ऑस्ट्रेलिया तक के साथ चीन के संबंधों में तनाव आया है। ऐसे में चीन की हर हरकत पर उनकी नजर है।

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