कृषि कानून गैर-संवैधानिक : याचिकाकर्ता
याचिकाकर्ता के वकील एपी सिंह ने कहा कि कृषि संबंधित तीनों कानून गैर संवैधानिक है और किसानों के खिलाफ है। इस कानून के बाद बाजार समिती खत्म हो जाएगी। याचिकाकर्ता ने कहा है कि मौजूदा कानून के लागू होने के बाद किसान समुदाय के लिए ये भयंकर आपदा की तरह होगा क्योंकि एक सामानांतर बाजार तैयार होगा और उस पर कोई नियंत्रण नहीं होगा। इस तरह किसानों का शोषण होने वाला है। याचिका में कहा गया है कि किसान इन कानूनों के कारण डरे हुए हैं क्योंकि इन कानूनों के कारण कृषि क्षेत्र भी कंपनियों के हाथों में चला जाएगा। फिर पूरा एग्रीकल्चर मार्केट और कीमत तय करने के सिस्टम पर कॉर्पोरेट का कब्जा हो जाएगा।
बीकेयू का भानु गुट भी दे चुका है याचिका
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में कृषि बिल के खिलाफ दाखिल याचिका में दखल के लिए भारतीय किसान यूनियन (भानु गुट) ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही 12 अक्टूबर को छत्तीसगढ़ किसान कांग्रेस, डीएमके सांसद तिरुचि शिवा, एमपी मनोज झा समेत अन्य की ओर कृषि बिल के खिलाफ दाखिल याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी कर रखा है। कृषि बिल के वैधता को चुनौती वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट पहले से सुनवाई का फैसला कर चुकी है और उसी अर्जी में भारतीय किसान यूनियन की ओर से दखल की गुहार गई है।
सुप्रीम कोर्ट में भारतीय किसान यूनियन (भानु गुट) की ओर से अर्जी दाखिल कर कहा गया था कि कृषि कानून मनमाना और गैर-संवैधानिक तो है ही यह किसान विरोधी भी है। 12 अक्टूबर को कृषि कानून को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सरकार से जवाब दाखिल करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अगुवाई वाली बेंच ने मामले में सरकार को नोटिस जारी कर चार हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा था।