उत्तर प्रदेश में 'लव जिहाद' कानून का एक महीना, एक दर्जन से ज्यादा केस, रोजाना 1 से ज्यादा गिरफ्तारी

लखनऊउत्तर प्रदेश में एक महीने पहले लागू किए गए धर्मांतरण रोधी अध्यादेश के तहत औसतन हर रोज एक से अधिक लोगों की गिरफ्तारी हुई है और अब तक 35 लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं। अध्यादेश को 27 नवंबर को राज्‍यपाल की मंजूरी मिलने के बाद से पुलिस ने एक दर्जन से ज्‍यादा मुकदमे दर्ज करते हुए राज्‍य में करीब 35 लोगों को गिरफ्तार किया है। आंकड़ों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश के एटा से आठ, सीतापुर से सात, ग्रेटर नोएडा से चार, शाहजहांपुर और आजमगढ़ से तीन-तीन, मुरादाबाद, मुजफ्फरनगर, बिजनौर और कन्नौज से दो-दो और बरेली, हरदोई से एक-एक गिरफ्तारी हुई है।

अध्‍यादेश के लागू होने के ठीक एक दिन बाद बरेली के देवरनिया थाने में पहला मुकदमा दर्ज किया गया जिसमें लड़की के पिता टीकाराम राठौर ने शिकायत की कि उवैश अहमद (22) ने उनकी बेटी से दोस्‍ती करने की कोशिश की और धर्म परिवर्तन के लिए जबरन दबाव बनाया और लालच देने की कोशिश की। बरेली की देवरनिया पुलिस ने मुकदमा दर्ज करने के बाद तीन दिसंबर को उवैश अहमद को गिरफ्तार कर लिया। इसी तरह लखनऊ पुलिस ने राजधानी में एक विवाह समारोह रोक दिया।

मुजफ्फरनगर जिले में नदीम और उसके साथी को छह दिसंबर को एक विवाहित हिंदू महिला को धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। हालांकि बाद में इलाहाबाद उच्‍च न्‍यायालय ने इस मामले में यूपी पुलिस को कोई कठोर कार्रवाई न करने का निर्देश दिया। मुरादाबाद में धर्मांतरण रोधी अध्यादेश के तहत गिरफ्तार किए गए दो भाइयों को मुख्य न्यायिक मैजिस्ट्रेट (सीजेएम) की अदालत ने रिहा कर दिया।

सीएम योगी का बयान, बहन-बेटियों का सम्मान नहीं किया तो राम नाम सत्य
बीते एक महीने के दौरान भारतीय जनता पार्टी के वरिष्‍ठ नेताओं ने ‘’ के मामले को लेकर आक्रामक बयान दिए। इस अध्यादेश के लागू होने के पहले उपचुनाव के दौरान जौनपुर और देवरिया की चुनावी रैलियों को संबोधित करते हुए मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने कहा था, ‘बहन-बेटियों का सम्‍मान नहीं करने वालों का राम नाम सत्‍य हो जाएगा।’ सामाजिक कार्यकर्ता शांतनु शर्मा ने इस अध्यादेश के बारे में कहा, ‘हमें नए अध्यादेश से कोई समस्‍या नहीं है लेकिन इसके लागू होने से लोगों को परेशान नहीं किया जाना चाहिए और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि इसका दुरुपयोग न हो।’ उन्‍होंने कहा, ‘यह भविष्‍यवाणी करना जल्‍दबाजी होगा कि यह अपने उद्देश्‍य में सफल होगा या नहीं लेकिन इसका सावधानी से प्रयोग होना चाहिए।’

पूर्व डीजीपी बोले, ‘कानून से उत्पीड़न नहीं होगा मगर आधुनिक लोगों को पसंद नहीं आएगा’उत्‍तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक यशपाल सिंह ने कहा, ‘आधुनिक युग में आजादी की जो परिभाषा है, उसके हिसाब से लोगों को यह अध्यादेश पसंद नहीं आएगा लेकिन समाज का जो वर्तमान स्‍वरूप है उसमें कानून-व्‍यवस्‍था के लिए जो समस्‍या खड़ी हो जाती, उसमें काफी राहत मिलेगी।’ पूर्व पुलिस प्रमुख ने कहा, ‘कोई लड़की जब किसी के साथ चली जाती है तो उसकी बरामदगी के लिए दबाव बढ़ता है और लड़की के भागने पर दंगे जैसी स्थिति उत्‍पन्‍न हो जाती है।’ उन्‍होंने कहा, ‘सामाजिक व्‍यवस्‍था के हिसाब से ठीक है और इससे उत्‍पीड़न नहीं होगा लेकिन आधुनिक लोगों को लगेगा कि हमारी आजादी पर सरकार ने पहरा बिठा दिया है।’

हाई कोर्ट के वकील ने कहा, कानून मौलिक अधिकारों के खिलाफ
उच्‍च न्‍यायालय के अधिवक्‍ता संदीप चौधरी ने कहा, ‘यह अध्यादेश व्‍यक्तिगत स्‍वतंत्रता, निजता, मानवीय गरिमा जैसे मौलिक अधिकारों के खिलाफ है।’ उन्‍होंने बताया कि कानून को चुनौती देने के लिए इलाहाबाद उच्‍च न्‍यायालय में एक जनहित याचिका पहले ही दायर की जा चुकी है और अब अदालत को फैसला करना है। उच्‍च न्‍यायालय ने उत्‍तर प्रदेश सरकार से एक याचिका पर जवाब देने को कहा है जिसमें नए अध्यादेश को लेकर सवाल उठाए गए हैं। इसमें सुनवाई के दौरान उच्‍च न्‍यायालय ने कोई अंतरिम राहत नहीं दी और राज्‍य सरकार को चार जनवरी तक जवाबी हलफनामा दायर करने को कहा है।

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