अपने मुखपत्र का जरिए शिवसेना ने एक बार फिर से बीजेपी की केंद्र सरकार पर हमला बोला है। पार्टी के प्रवक्ता संजय राउत के लिखे लेख में कहा है कि बीतते वर्ष ने महंगाई, बेरोजगारी, आर्थिक संकट और निराशा का बोझ आनेवाले साल पर डाल दिया है। सरकार के पास पैसा नहीं है लेकिन उसके पास चुनाव जीतने के लिए, सरकारें गिराने-बनाने के लिए पैसा है।
संजय राउत ने कहा कि हम ऐसी स्थिति में हैं जहां देश की राष्ट्रीय आय से अधिक ऋण है। यदि हमारे प्रधानमंत्री को इस स्थिति में रात में अच्छी नींद आ रही है, तो उनकी प्रशंसा की जानी चाहिए। बिहार में चुनाव हुए। वहां तेजस्वी यादव ने मोदी से टक्कर ली। बिहार के नीतीश कुमार और भाजपा की सत्ता सही तरीके से नहीं आई।
‘सरकारों को अस्थिर करने में रुचि ले रहे पीएम’
भाजपा नेता विजयवर्गीय ने सनसनीखेज खुलासा करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने मध्य प्रदेश में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए विशेष प्रयास किया था। यदि हमारे प्रधानमंत्री राज्य सरकारों को अस्थिर करने में विशेष रुचि ले रहे हैं तो क्या होगा? प्रधानमंत्री देश का होता है।
‘अर्नब गोस्वामी और कंगना रनौत को बचाने में लगी सरकार’
राज्यसभा सांसद ने कहा कि देश एक महासंघ के रूप में खड़ा है। यहां तक कि जिन राज्यों में भाजपा की सरकारें नहीं हैं, वे राज्य भी राष्ट्रहित की बातें करते हैं। यह भावना मारी जा रही है। मध्य प्रदेश में, भाजपा ने कांग्रेस को तोड़ दिया और सरकार बनाई। बिहार में युवा तेजस्वी यादव ने चुनौती पेश की। कश्मीर घाटी में अस्थिरता बरकरार है। चीन ने लद्दाख में घुसपैठ की है। पंजाब के किसानों पर जोर-जबरदस्ती का प्रयोग शुरू है। केंद्र सरकार कंगना रनौत और अर्नब गोस्वामी को बचाने के लिए जमीन पर उतर गई। राजनीतिक अहंकार के लिए मुंबई की `मेट्रो’ को अवरुद्ध कर दिया।
‘कर्तव्य भूला सुप्रीम कोर्ट’
सामना में कहा गया है कि अगर केंद्र सरकार को इस बात का एहसास नहीं हुआ कि हम राजनीतिक लाभ के लिए लोगों को नुकसान पहुंचा रहे हैं, तो जैसे रूस के राज्य टूटे वैसा हमारे देश में होने में ज्यादा समय नहीं लगेगा। केंद्र सरकार की क्षमता और विश्वसनीयता पर सवालिया निशान पैदा करनेवाले वर्ष 2020 की तरफ देखना होगा। राज्य और केंद्र के बीच संबंध बिगड़ रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट कई मामलों में अपना कर्तव्य भूल गया।
‘अंबानी-अडानी की बढ़ी संपत्ति’
भारतीय सामाजिक जीवन की त्रासदी यह है कि देश का भविष्य उज्ज्वल करने या उसे डुबाना दो-चार लोगों के हाथों में है। यह त्रासदी वर्तमान में चल रही है। कोरोना और लॉकडाउन के बावजूद, सभी स्तरों पर भ्रष्टाचार का वायरस कायम है। अंबानी और अडानी की संपत्ति बीतते वर्ष में भी बढ़ती गई लेकिन जनता ने बड़ी संख्या में नौकरियां खो दीं।