कल सरकार के साथ वार्ता से पहले किसानों ने भेजा लेटर, 4 पॉइंट्स में बता दिया रुख

नई दिल्ली
नए कृषि कानूनों (New Farm Laws) को लेकर सरकार और किसान संगठनों के बीच गतिरोध जारी है। सरकार ने किसान संगठनों को बुधवार 30 दिसबंर को एक बार फिर बातचीत के लिए बुलाया है। एक दिन पहले 40 किसान संगठनों के संयुक्त किसान मोर्चा ने भी बातचीत के लिए सरकार के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया। हालांकि किसान कानूनों को वापस लेने की अपनी मांग पर अड़े हुए हैं। उधर, गृह मंत्री अमित शाह की अगुआई में ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स की बैठक भी हुई है। ऐसे में इस बात की संभावना बढ़ रही है कि ठंड और कोरोना के हालात में प्रदर्शन कर रहे किसानों को मनाने के लिए सरकार नया प्लान तैयार कर सकती है।

किसानों ने सरकार के निमंत्रण को स्वीकारा
40 किसान संगठनों के संयुक्त किसान मोर्चा ने कृषि मंत्रालय के सचिव संजय अग्रवाल को लिखे पत्र में कहा, बैठक के लिए ‘हमारी ओर से भेजे गए प्रस्ताव को स्वीकार करने के लिए आपका धन्यवाद। 30 दिसंबर को दोपहर 2 बजे बातचीत के लिए आपका निमंत्रण हमें स्वीकार है।’

अमित शाह की अगुवाई में बैठक
बुधवार को किसानों के साथ बातचीत से पहले सरकार ने अपनी रणनीति बनानी शुरू कर दी है। इस बाबत गृह मंत्री अमित शाह की अगुवाई में केंद्रीय मंत्रियों की एक बैठक हो रही है जिसमें कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रेल मंत्री पीयूष गोयल भी शामिल हैं। किसानों के साथ बातचीत से पहले हो रही यह बैठक काफी अहम है।

कृषि कानूनों को वापस लेने पर अड़े किसान
किसान संगठनों ने 30 दिसंबर को सरकार के साथ बातचीत का निमंत्रण भले ही स्वीकार कर लिया हो, लेकिन नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर वे अब भी अड़े हुए हैं। इस बाबत उन्होंने सरकार को लिखे पत्र में भी साफ कर दिया है कि हम अपने पिछले पत्र में लिखे अजेंडे पर ही बातचीत के लिए आ रहे हैं। आपको बात दें कि किसानों ने पिछले पत्र में नए कृषि कानूनों को वापस लेने, एमएसपी पर कानूनी गारंटी, एनसीआर और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन अध्यादेश, 2020 और विद्युत संशोधन विधेयक, 2020 के मसौदे को वापस लेने का जिक्र किया था।

सरकार से बातचीत के मद्देनजर किसानों का ट्रैक्टर मार्च स्थगित
केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों ने बुधवार को सरकार के साथ होने वाली बातचीत के मद्देनजर अपना प्रस्तावित ट्रैक्टर मार्च गुरुवार तक स्थगित कर दिया है। किसान संगठनों ने केंद्र सरकार के साथ अगले दौर की बातचीत के लिए सहमति जताई, हालांकि उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने के तौर-तरीके पर चर्चा करने को बातचीत के एजेंडे में शामिल किया जाना चाहिए।

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