गंगा निर्मलीकरण योजना एक अधूरा सपना सिद्ध हुई है। इसका एक बड़ा कारण पूरी परियोजना को सरकारी तौर पर चलाया जाना रहा। 2014 के बाद से गंगा के लिए 20 हजार करोड़ रुपए जारी हुए, मगर खर्च एक तिहाई भी नहीं हो पाए। एक तरफ सरकार ने चिंता व्यक्त करके अपना काम पूरा समझ लिया है तो दूसरी तरफ गंगा निर्मलीकरण में जन भागीदारी भी लगभग न के बराबर ही रही है।