आपको बताते चलें कि सूबे में बढ़ते आपराधिक मामलों को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री ने सभी प्रशासनिक अधिकारियों को अपने-अपने सीयूजी नंबर पर आने वाली सभी कॉल्स खुद रिसीव करने के निर्देश दिए थे। बावजूद इसके राजधानी के पुलिस कमिश्नरेट के आलाधिकारियों से लेकर जिलाधिकारी तक कोई भी इन निर्देशों का पालन करता हुआ नहीं दिख रहा है। ऐसे में किसी आपराधिक घटना के बाद यदि पीड़ित सीयूजी नंबर लेकर किसी आलाधिकारी को फोन करता है तो घंटों तक कॉल रिसीव नहीं की जाती है। यदि फोन उठ भी जाता है तो पीआरओ साहब अधिकारी के मीटिंग में होने का हवाला देकर फोन काट देते हैं।
सुबह किया गया फोन, शाम तक नहीं मिला कोई जवाब
बीजेपी सांसद जय प्रकाश निषाद ने लखनऊ के जिलाधिकारी पर सरकारी फरमान के उल्लंघन का आरोप लगाया है। साथ ही इसकी शिकायत मुख्यमंत्री से करने की बात भी कही है। सांसद प्रतिनिधि ने एनबीटी ऑनलाइन को बताया कि शनिवार सुबह लखनऊ के वीवीआइपी गेस्ट हाउस में सांसद से मिलने कुछ फरियादी आए थे। सभी फरियादी सरोजनीनगर के रहने वाले थे। मामला जमीन पर होने वाले अवैध कब्जे से जुड़ा था, जिसके चलते सांसद ने जिलाधिकारी को कई बार फोन किया। पीड़ितों के सामने लगभग 2 घंटे तक जिलाधिकारी के सीयूजी नंबर पर कॉल किया गया, लेकिन एक भी कॉल रिसीव नहीं हुआ।
‘आम जनता की समस्याओं को कैसे सुलझाते होंगे जिलाधिकारी’
सांसद प्रतिनिधि ने कहा कि जनसुनवाई के लिए सांसद की तरफ से सुबह किए गए फोन का देर शाम तक भी कोई जवाब नहीं मिला। ऐसे में लखनऊ के प्रशासनिक अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल उठ रहा है। जब जिलाधिकारी सांसद और विधायक का फोन नहीं उठाते हैं तो आम जनता की समस्याओं का निवारण वे किस प्रकार करते होंगे?