कर्मचारियों के लिए इतना कौन करता है… टाटा के ये किस्से जान आप भी करेंगे सलाम

रतन टाटा अपने कर्मचारियों का बेहद ख्याल रखते हैं। यह बात एक बार फिर साबित हो गई जब वह बीते 2 वर्षों से बीमार चल रहे अपने एक पूर्व कर्मचारी से मिलने उसके घर पुणे पहुंच गए। टाटा ने कर्मचारी के पूरे परिवार का खर्च और बच्चों की पढ़ाई का जिम्मा उठाने का वादा किया। टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन और दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा के ऐसे और भी कई किस्से हैं जब उन्होंने यह साबित किया कि उनके कर्मचारी उनके लिए कितना मायने रखते हैं। जानिए, उनके ऐसे दिलचस्प किस्से….

Ratan Tata News: टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा ने एक बार फिर मानवता की मिसाल पेश की है। इस वह अपने एक पूर्व कर्मचारी से अचानक मिलने पहुंच गए जो बीते 2 सालों से बीमार चल रहे थे।

Interesting Stories of Ratan Tata: एक ऐसा मालिक, जो अपने कर्मचारियों के लिए 'रतन' से कम नहीं

रतन टाटा अपने कर्मचारियों का बेहद ख्याल रखते हैं। यह बात एक बार फिर साबित हो गई जब वह बीते 2 वर्षों से बीमार चल रहे अपने एक

पूर्व कर्मचारी से मिलने उसके घर पुणे पहुंच गए

। टाटा ने कर्मचारी के पूरे परिवार का खर्च और बच्चों की पढ़ाई का जिम्मा उठाने का वादा किया। टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन और दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा के ऐसे और भी कई किस्से हैं जब उन्होंने यह साबित किया कि उनके कर्मचारी उनके लिए कितना मायने रखते हैं। जानिए, उनके ऐसे दिलचस्प किस्से….

जब कर्मचारी के नाम पर रख दिया कार का नाम
जब कर्मचारी के नाम पर रख दिया कार का नाम

टाटा की लोकप्रिय कार रही टाटा सूमो का नाम रखने का किस्सा भी बेहद दिलचस्प है। टाटा ने इसका नाम अपने पूर्व एमडी सुमंत मुलगावकर के नाम पर रखा था। उनके नाम के पहले और दूसरे अक्षर का इस्तेमाल करके गाड़ी का नाम सुमो रखा गया था। यह नाम टाटा कंपनी के लिए काफी लकी रहा और टाटा सुमो की जमकर बिक्री हुई थी। कर्मचारियों के साथ रतन टाटा के संबंधों का यह एक नायाब उदाहरण था।

कर्मचारियों को दिया था ‘बेस्ट फेल्ड आइडिया अवॉर्ड’
कर्मचारियों को दिया था 'बेस्ट फेल्ड आइडिया अवॉर्ड'

रतन टाटा और कर्मचारियों से उनके रिश्ते के बारे में एक और किस्सा मशहूर है। यह उन दिनों की बात है जब टाटा मोटर्स का बिजनस कुछ ठंडा था। इनोवेशन को लेकर भी कर्मचारियों में जोश कम दिख रहा था। टाटा ने तब एक हटकर प्रयोग किया। उन्होंने कंपनी में ‘बेस्ट फेल्ड आइडिया’ के लिए अवॉर्ड की शुरुआत की। साल में यह अवॉर्ड ऐसे कर्मचारी को दिया जाना था, जिसका आइडिया असफल रहा हो। मकसद था कर्मचारियों में इनोवेशन को लेकर हिचक को खत्म करना। दरअसल टाटा चाहते थे कि उनके कर्मचारी एसी कमरे से बाहर निकलकर हकीकत से भी रू-ब-रू हों और अलग-अलग तबकों से मिल अपने इनोवेशन को धार दें।

26/11 हमले में प्रभावित कर्मचारियों की मदद
26/11 हमले में प्रभावित कर्मचारियों की मदद

26 नवंबर 2008 को जब मुंबई में आतंकी हमला हुआ था तो टाटा समूह के कई कर्मचारी भी इससे प्रभावित हुए थे। उस दौरान भी रतन टाटा अपने कर्मचारियों से मिलने उनके घर गए थे और उनकी हर संभव मदद की थी। आगे भी उनका पूरा खर्च उठाने का भी वादा किया था।

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