बुजुर्गों की जगह पहले युवा वयस्कों को कोरोना वैक्सीन क्यों देने जा रहा इंडोनेशिया?

जकार्ता
इंडोनेशिया में कोविड-19 वैक्सीन देनी की तैयारी शुरू हो चुकी है लेकिन उसका प्लान दूसरे देशों से अलग है। ज्यादातर देशों में वायरस की चपेट में आने के ज्यादा रिस्क वाले बुजुर्गों को वैक्सीन दी जा रही है। हालांकि, इंडोनेशिया ने फैसला किया है कि काम करने वाले वयस्कों को वैक्सीन दी जाएगी। इसके जरिए तेजी से हर्ड इम्यूनिटी हासिल करने की कोशिश की जाएगी और साथ ही अर्थव्यवस्था को भी पटरी पर लाया जाएगा। इंडोनेशिया के इस कदम पर पूरी दुनिया की निगाहें भी टिकी हैं।

बुजुर्गों पर वैक्सीन के असर का डेटा नहीं
अमेरिका और ब्रिटेन समेत कई देश वैक्सीन देना शुरू कर चुके हैं। यहां बुजुर्गों को वैक्सीन पहले दी जा रही है जिन्हें सांस संबंधी बीमारी होने का खतरा ज्यादा है। इंडोनेशिया में चीन की Sinovac Biotech की वैक्सीन देने की तैयारी की जा रही है। उसका कहना है कि अभी बुजुर्गों पर वैक्सीन के असर का पर्याप्त डेटा नहीं मिला है। देश में क्लिनिकल ट्रायल 18-59 साल के लोगों पर जारी है। अभी बुजुर्गों को वैक्सीन देने के बारे में देश के ड्रग रेग्युलेटर फैसला करेंगे। ब्रिटेन और अमेरिका में Pfizer की वैक्सीन दी जा रही है जो सभी उम्र के लोगों पर असरदार है।


कितना होगा असर?

इंडोनेशिया ने चीनी कंपनी के साथ 12.5 करोड़ खुराकों की डील की है जिसमें से 30 लाख खुराकें पहुंचाई जा चुकी हैं। Pfizer की वैक्सीन देश में तीसरी तिमाही में पहुंच सकती है जबकि ऑक्सफर्ड की वैक्सीन दूसरी तिमाही में। ऑस्ट्रेलियन नैशनल यूनिवर्सिटी के प्रफेसर पीटर कॉलिगनॉन का कहना है कि इंडोनेशिया के प्लान से बीमारी फैलने की रफ्तार धीमी हो सकती है लेकिन मृत्युदर पर ज्यादा असर की संभावना नहीं है।

क्या बेहतर है यह तरीका?
वहीं, नैशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर में यॉन्ग लू लिन स्कूल के प्रफेसर डेल फिशर का कहना है कि युवा वयस्क ज्यादा सक्रिय होते हैं, ज्यादा सामाजिक होते हैं और सफर भी ज्यादा करते हैं। ऐसे में कम्यूनिटी ट्रांसमिशन को कम किया जा सकता है। वहीं, देश के स्वास्थ्य मंत्री बूडी गुनाडी का कहना है कि देश को हर्ड इम्यूनिटी हासिल करने के लिए 18.15 करोड़ लोगों को वैक्सिनेट करना होगा। उसे 42.7 करोड़ खुराकें चाहिए होंगी। हालांकि, हर्ड इम्यूनिटी पर और रिसर्च की जरूरत अभी है।

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