ब्रह्मांड के दूसरे हिस्से में निकलने के लिए शॉर्टकट हो सकते हैं विशाल ब्लैकहोल, 'टाइम ट्रैवल' मुमकिन करेगा वैज्ञानिकों का दावा?

ब्लैकहोल्स के बारे में कई तरह की थिअरी हैं जिनमें से एक यह भी है कि ये हमारे ब्रह्मांड में एक जगह से दूसरी पर जाने का शॉर्टकट (wormhole) होते हैं। महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टाइन ने अपनी थिअरी ऑफ जनरल रिलेटिविटी में इनके अस्तित्व की संभावना जताई थी लेकिन इसे कभी साबित नहीं किया जा सका। हालांकि, आज भी ऐस्ट्रोफिजिसिस्ट्स का मानना है कि ब्लैक होल की मदद से स्पेस या टाइम में एक जगह से दूसरी जगह पर जाया जा सकता है। ताजा दावा रूस के वैज्ञानिकों ने किया है। इससे एक बार फिर टाइम-ट्रैवल की संभावना पर चर्चा चल निकली है।

Wormhole: वैज्ञानिकों का मानना है कि एक विशाल ब्लैकहोल दरअसल, वर्महोल हो सकता है जिसके एक सिरे से अंदर जाकर दूसरे से बाहर निकला जा सकता है।

ब्रह्मांड के दूसरे हिस्से में निकलने के लिए शॉर्टकट हो सकते हैं विशाल ब्लैकहोल, 'टाइम ट्रैवल' मुमकिन करेगा वैज्ञानिकों का दावा?

ब्लैकहोल्स के बारे में कई तरह की थिअरी हैं जिनमें से एक यह भी है कि ये हमारे ब्रह्मांड में एक जगह से दूसरी पर जाने का शॉर्टकट (wormhole) होते हैं। महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टाइन ने अपनी थिअरी ऑफ जनरल रिलेटिविटी में इनके अस्तित्व की संभावना जताई थी लेकिन इसे कभी साबित नहीं किया जा सका। हालांकि, आज भी ऐस्ट्रोफिजिसिस्ट्स का मानना है कि ब्लैक होल की मदद से स्पेस या टाइम में एक जगह से दूसरी जगह पर जाया जा सकता है। ताजा दावा रूस के वैज्ञानिकों ने किया है। इससे एक बार फिर टाइम-ट्रैवल की संभावना पर चर्चा चल निकली है।

क्या होते हैं वर्महोल?
क्या होते हैं वर्महोल?

सेंट्रल ऐस्ट्रोनॉमिकल ऑब्जर्वेटरी के एक्सपर्ट्स ने दावा किया है कि चमकीली गैलेक्सी के बीच में मौजूद ब्लैकहोल (ऐक्टिव गैलेक्टिक न्यूक्लियाई, AGN) इन वर्महोल में जाने का रास्ता हो सकते हैं। माना जाता है कि स्पेसक्राफ्ट इनसे गुजर सकते हैं लेकिन इनके आसपास बहुत रेडिएशन होता है। इसकी वजह से इंसानों का जाना नामुमकिन है। वर्महोल और ब्लैकहोल, दोनों बेहद घने होते हैं और दोनों का गुरुत्वाकर्षण बहुत तेज होता है। दोनों में फर्क यह है कि ब्लैकहोल में जाने वाली चीज कभी वापस नहीं आ सकती लेकिन माना जाता है कि वर्महोल में एक सिरे से दाखिल होने वाला ऑब्जेक्ट ब्रह्मांड के किसी और हिस्से में बाहर निकलता है।

कैसे पता लगेगा?
कैसे पता लगेगा?

रिसर्चर्स ने दावा किया है कि ऐसा हो सकता है कि वर्महोल के एक सिरे से अंदर जाने वाला मैटर, उसी वक्त दूसरे सिरे से अंदर जाने वाले मैटर से टकरा जाए। इसकी वजह से दोनों सिरों से निकलने वाला प्लाज्मा लाइट की स्पीड पर बाहर निकलेगा और इसका तापमान 18 ट्रिलियन डिग्री F तक हो सकता है। इतने तापमान पर प्लाज्मा से गामा रेज निकलेंगी जिनकी ऊर्जा 6.8 करोड़ इलेक्ट्रॉनवोल्ट होगी। इस ऊर्जा को NASA के Fermi स्पेस टेलिस्कोप जैसी ऑब्जर्वेटरी डिटेक्ट कर सकती हैं।

यह ब्लैकहोल है या वर्महोल?
यह ब्लैकहोल है या वर्महोल?

मंथली नोटिसेज ऑफ द रॉयल ऐस्ट्रोनॉमिकल सोसायटी में छपी नई स्टडी में AGN से निकलने वाली एनर्जी और रेडिएशन के प्रकार को स्टडी किया गया है। सबसे करीबी AGN Centauras A नाम की गैलेक्सी में है जो हमारी धरती से 1.3 करोड़ लाइट इयर दूर है। AGN के आसपास आमतौर पर प्लाज्मा के रिंग होते हैं जिन्हें accretion disc कहते हैं। इनके पोल से रेडिएशन के ताकतवर जेट निकलते हैं। इनसे निकलने वाली ऊर्जा वर्महोल के अंदर होने वाली टक्कर से निकलने वाली ऊर्जा से बेहद कम होती है। हालांकि, रिसर्चर्स का कहना है कि हो सकता है कि यह AGN नहीं बल्कि वर्महोल हो।

मुमकिन है समय में सफर?
मुमकिन है समय में सफर?

ऐसे में सवाल उठता है कि क्या वर्महोल के जरिए टाइम और स्पेस में अलग जगह पर निकला जा सकता है? थिअरी में इसे संभव माना जाता है लेकिन हमारा सबसे करीबी और संभावित वर्महोल 1.3 करोड़ प्रकाशवर्ष दूर है। यानी न सिर्फ इंसानों को ऐसे टेक्नॉलजी ईजाद करनी होगी जो वर्महोल के रेडिएशन से उसे बचा सके बल्कि ऐसा स्पेसक्राफ्ट भी जो इतनी दूरी तय कर सके।

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