वैक्सीन वॉरः कौन हैं कोवैक्सीन वाले कृष्णा इल्ला, क्यों हो रही उनकी इतनी चर्चा

कोरोना काल में भारत में दो दवाओं को ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया की मंजूरी मिल गई है। एक ओर सीरम इंस्टीट्यूट और दूसरी ओर भारत बायोटेक की वैक्सीन को इमर्जेंसी यूज अप्रूवल मिलने के बाद अब दोनों दवाओं के प्रभावी होने पर सियासत होने लगी है। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के प्रमुख अदार पूनावाला की ओर से कोरोना के खिलाफ केवल तीन टीकों को प्रभावी बताने के बाद भारत बायोटेक के चीफ कृष्णा इल्ला ने इसपर पलटवार किया है।

कोरोना वायरस की स्वदेशी दवा कोवैक्सीन को बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक के संस्थापक डॉ. कृष्णा इल्ला को देश के एक प्रतिष्ठित वैज्ञानिक के रूप में जाना जाता है।

COVAXIN बनाने वाली भारत बायोटेक के चीफ कृष्णा इल्ला की कहानी, जिन्होंने एम्स चीफ तक को दी चुनौती

कोरोना काल में भारत में दो दवाओं को ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया की मंजूरी मिल गई है। एक ओर सीरम इंस्टीट्यूट और दूसरी ओर भारत बायोटेक की वैक्सीन को इमर्जेंसी यूज अप्रूवल मिलने के बाद अब दोनों दवाओं के प्रभावी होने पर सियासत होने लगी है। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के प्रमुख अदार पूनावाला की ओर से कोरोना के खिलाफ केवल तीन टीकों को प्रभावी बताने के बाद भारत बायोटेक के चीफ कृष्णा इल्ला ने इसपर पलटवार किया है।

कोवैक्सीन को लेकर हुए विवाद में आया नाम
कोवैक्सीन को लेकर हुए विवाद में आया नाम

कृष्णा इल्ला की पहचान देश के एक प्रमुख वैज्ञानिक के रूप में रही है और वह भारत बायोटेक के संस्थापक हैं। कृष्णा ने कोरोना वैक्सीन के प्रभावी होने को लेकर दिए बयानों पर सीरम इंस्टीट्यूट के अदार पूनावाला और एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया तक की आलोचना की है। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला का नाम लिए बिना कृष्णा इल्ला ने कहा, ‘हम 200 फीसद ईमानदार क्लीनिकल परीक्षण करते हैं और फिर भी हमें बैकलैश मिलता है। अगर मैं गलत हूं, तो मुझे बताओ। कुछ कंपनियों ने हमारे टीके को ‘पानी’ की तरह बताया है। मैं इससे इनकार करना चाहता हूं। हम वैज्ञानिक हैं। हमारे ट्रायल पर कोई सवाल न उठाए।’ इसके अलावा उन्होंने कोवैक्सीन को बैकअप बताने वाले एम्स के चीफ रणदीप गुलेरिया को भी ऐसे बयान ना देने की सलाह दी।

अमेरिका से लौटकर 1996 में की भारत बायोटेक स्थापना
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कृष्णा इल्ला का पूरा नाम डॉ. कृष्ण मूर्ति इल्ला है। इल्ला का जन्म साल 1969 में तमिलनाडु के तिरुत्तनी में हुआ था। इल्ला ने एग्रीकल्चर साइंसेज में ग्रैजुएशन और यूनिवर्सिटी ऑफ हवाई से एमएस की डिग्री ली है। इसके बाद उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ विसकॉन्सिन मैडिसन से पीएचडी की डिग्री हासिल की। कुछ वक्त तक अमेरिका की एक मेडिकल यूनिवर्सिटी में काम करने के बाद कृष्णा 1996 में भारत लौटे और यहां उन्होंने भारत बायोटेक नाम की कंपनी की स्थापना की। इस कंपनी के पास अभी 140 दवाओं के ग्लोबल पेटेंट्स मौजूद हैं।

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रेबीज, जीका वायरस और अब कोरोना की दवा बनाई
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कृष्णा इल्ला फिलहाल इसी कंपनी के सीएमडी हैं। भारत बायोटेक ने फिलहाल प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रिसर्च ऐंड डेवलपमेंट के क्षेत्र में करीब 200 मिलियन डॉलर का इन्वेस्टमेंट कर रखा है। इसके अलावा कंपनी में करीब 1600 कर्मचारी काम करते हैं। भारत बायोटेक की उपलब्धियों की बात करें तो इसे पूरी दुनिया में रेबीज की दवाओं के सबसे बड़े सप्लायर के रूप में जाना जाता है। इसके अलावा कंपनी के पास 140 दवाओं के ग्लोबल पेटेंट्स भी मौजूद हैं।

सरकार की कई बड़ी कमेटियों में सदस्य रहे हैं कृष्णा
सरकार की कई बड़ी कमेटियों में सदस्य रहे हैं कृष्णा

कृष्णा इल्ला केंद्रीय कैबिनेट की चिकित्सा विज्ञान सलाहकार समिति का हिस्सा रहे हैं। इसके अलावा उन्होंने सीएसआईआर के सदस्य के रूप में भी काम किया है। इल्ला की कंपनी भारत बायोटेक को दुनिया की अग्रणी दवा कंपनियों में एक माना जाता रहा है। हाल ही में कोरोना वैक्सीन के निर्माण कार्य की समीक्षा के दौरान पीएम मोदी खुद भी उनकी कंपनी के दौरे पर गए थे।

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