ओवैसी पहुंच रहे हैं बंगाल, अब्बास सिद्दीकी के साथ मिलकर बिगाड़ेंगे ममता का खेल!

कोलकाता
पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के मुस्लिम वोटबैंक में सेंध लगाने के लिए एआईएमआईएम के अध्यक्ष असुदुद्दीन सिद्दकी बंगाल पहुंच रहे हैं। बंगाल पहुंचने के बाद वह फुरफुरा शरीफ दरगाह पहुंच सकते हैं। यहां वह पीरजादा अब्बास सिद्दीकी से मुलाकात कर सकते हैं। सिंगूर और नंदीग्राम आंदोलन में प्रमुख भूमिका निभाने वाले पीरजादा अब्बास सिद्दीकी और ओवैसी की इससे पहले मुलाकात हो चुकी है। इस मुलाकात को पश्चिम बंगाल की सियासत में एक बड़ी घटना माना जा रहा है।

हुगली जिले में फुरफुरा शरीफ दरगाह है। दक्षिण बंगाल में इस दरगाह की खासी दखल है। लेफ्ट फ्रंट सरकार के दौरान इसी दरगाह की मदद से ममता ने सिंगूर और नंदीग्राम जैसे दो बड़े आंदोलन किए थे। अब दरगाह के पीरजादा ने ऐला किया है कि वह अपनी खुद की एक राजनीतिक पार्टी बनाएंगे और ममता बनर्जी के खिलाफ लड़ेंगे।

मुस्लिम वोटबैंक के लिए गेमचेंजर
दरअसल, पश्चिम बंगाल की सियासत में 31 फीसदी वोटर्स मुस्लिम हैं। पीरजादा अब्बास सिद्दीकी जिस फुरफुरा शरीफ दरगाह से जुड़े हैं, उसे इस मुस्लिम वोट बैंक का एक गेमचेंजर माना जाता है। लंबे वक्त से सिद्दीकी ममता बनर्जी के करीबियों में से एक रहे हैं। हालांकि कुछ वक्त से सिद्दीकी ममता के खिलाफ बयान दे रहे हैं और वह खुले रूप में टीएमसी का विरोध भी कर रहे, ऐसे में ओवैसी से उनका मिलना अहम है।

फुरफुरा शरीफ की नंदीग्राम आंदोलन में थी अहम भूमिका
हाल ही में फुरफुरा शरीफ के पीरजादा अब्बास ने पश्चिम बंगाल के चुनाव में उतरने का ऐलान किया है, ऐसे में सिद्दीकी से उनकी मुलाकात को मुस्लिम वोटर्स को AIMIM (ओवैसी की पार्टी) के पक्ष में करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। बड़ी बात ये कि पश्चिम बंगाल में बंगाल की सत्ता में आने से पहले ममता बनर्जी जिन सिंगूर और नंदीग्राम के आंदोलनों के कारण लोगों के बीच लोकप्रिय हुई थीं, उनमें फुरफुरा शरीफ की एक बड़ी भूमिका थी।

पीरजादा अब्बास सिद्दीकी ममता बनर्जी के थे समर्थक
38 वर्षीय अब्बास सिद्दीकी एक समय ममता बनर्जी के मुखर समर्थक थे। मगर बीते कुछ महीनों से उन्होंने ममता बनर्जी के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। सिद्दीकी ने ममता सरकार पर मुस्लिमों की अनदेखी करने का आरोप लगाया है। बंगाल की करीब 100 सीटों पर फुरफुरा शरीफ दरगाह का प्रभाव है। ऐसे में चुनाव से पहले दरगाह के पीरजादा अब्बास सिद्दीकी की नाराजगी मोल लेना ममता के लिए सियासी रूप से फायदे का सौदा नहीं साबित होने वाला है।

टीएमसी के पास फिलहाल 211 विधायक
पश्चिम बंगाल में कुल 294 विधानसभा सीटें हैं और राज्‍य में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं। साल 2016 में हुए विधानसभा चुनाव में टीएमसी को 211, लेफ्ट को 33, कांग्रेस को 44 और बीजेपी को मात्र 3 सीटें मिली थीं। हालांकि इसके बाद 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन किया। टीएमसी ने जहां 43.3 प्रतिशत वोट शेयर हासिल किया वहीं बीजेपी को 40.3 प्रतिशत वोट मिले। बीजेपी को कुल 2 करोड़ 30 लाख 28 हजार 343 वोट मिले जबकि टीएमसी को 2 करोड़ 47 लाख 56 हजार 985 मत मिले।को 2019 में सिर्फ 22 सीटें मिली थीं।

लोकसभा चुनाव में BJP-TMC के वोटों में बड़ा अंतर नहीं
पश्चिम बंगाल में कुल 294 विधानसभा सीटें हैं और राज्‍य में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं। साल 2016 में हुए विधानसभा चुनाव में टीएमसी को 211, लेफ्ट को 33, कांग्रेस को 44 और बीजेपी को मात्र 3 सीटें मिली थीं। हालांकि इसके बाद 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन किया। टीएमसी ने जहां 43.3 प्रतिशत वोट शेयर हासिल किया वहीं बीजेपी को 40.3 प्रतिशत वोट मिले। बीजेपी को कुल 2 करोड़ 30 लाख 28 हजार 343 वोट मिले जबकि टीएमसी को 2 करोड़ 47 लाख 56 हजार 985 मत मिले।

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