सूरज पर जोरदार विस्फोट से अंतरिक्ष में हलचल, धरती पर बंद हो जाएंगे मोबाइल?

नए साल की सूरज पर शुरुआती ‘धमाकेदार’ हुई है। 2 जनवरी को इस सितारे से ऊर्जा के जोरदार विस्फोट हुए हैं और बुधवार को इनका असर धरती पर दिखने की संभावना है। अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA की सोलर डायनमिक्स ऑब्जर्वेटरी ने विस्फोट के दौरान निकले पार्टिकल्स को स्पेस में जाते हुए फिल्म किया है। क्या होगा अगर ये पार्टिकल धरती पर आ पहुंचे तो?

Solar Eruptions: सूरज के अंदर हुए विस्फोट से स्पेस में पार्टिकल निकले हैं। मुमकिन है कि ये पार्टिकल्स धरती पर भी पहुंच जाएं। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि इनका धरती पर क्या असर होगा।

सूरज पर विस्फोट से अंतरिक्ष में हलचल, धरती से रंगीन दिखेगा आसमान?

नए साल की सूरज पर शुरुआती ‘धमाकेदार’ हुई है। 2 जनवरी को इस सितारे से ऊर्जा के जोरदार विस्फोट हुए हैं और बुधवार को इनका असर धरती पर दिखने की संभावना है। अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA की सोलर डायनमिक्स ऑब्जर्वेटरी ने विस्फोट के दौरान निकले पार्टिकल्स को स्पेस में जाते हुए फिल्म किया है। क्या होगा अगर ये पार्टिकल धरती पर आ पहुंचे तो?

सूरज पर क्या हुआ?
सूरज पर क्या हुआ?

एक्सपर्ट्स का कहना है कि सूरज की कोर के अंदर मैग्नेटिक फिलामेंट बनने के कारण सूरज के दक्षिणी गोलार्ध में ये विस्फोट हुए हैं। इससे सोलर सिस्टम में दो कोरोनल मास इजेक्शन (CME) हुए हैं जिनमें से एक धीमी गति पर है और दूसरा थोड़ा तेज। इनके एक-दूसरे से मिलने पर इनकी तीव्रता बढ़ सकती है। ऐस्ट्रॉनमी साइट स्पेस वेदर के मुताबिक ये पार्टिकल धरती पर पहुंच सकते हैं। NOAA के पुर्वानुमान मॉडल के मुताबिक 6 जनवरी को ये धरती पर पहुंच सकते हैं।

धरती पर क्या असर?
धरती पर क्या असर?

ऐसे में यह जानना दिलचस्प है कि इसका धरती पर असर क्या होगा। अगर ये पार्टिकल धरती से टकराते हैं तो खूबसूरत नजारे देखने को मिलेंगे- उत्तरी या दक्षिणी लाइट्स यानी ऑरोरा (Aurora) के रूप में। दिल थामने को मजबूर कर देने वाले ऑरोरा तभी पैदा होता हैं जब सोलर पार्टिकल धरती के वायुमंडल से टकराते हैं। हालांकि, रिसर्चर्स का कहना है कि इसके दूसरे असर भी हो सकते हैं।

होगा कोई नुकसान?
होगा कोई नुकसान?

यूं तो धरती का चुबंकीय क्षेत्र इंसानों को सूरज से आने वाले खतरनाक रेडिएशन से बचाता है लेकिन सौर्य तूफानों का असर सैटलाइट पर आधारित टेक्नॉलजी पर हो सकता है। सोलर विंड की वजह से धरती का बाहरी वायुमंडल गरमा सकता है जिससे सैटलाइट्स पर असर हो सकता है। इससे जीपीएस नैविगेशन, मोबाइल फोन सिग्नल और सैटलाइट टीवी में रुकावट पैदा हो सकती है। पावर लाइन्स में करंट तेज हो सकता है जिससे ट्रांसफॉर्मर भी उड़ सकते हैं। हालांकि, आमतौर पर ऐसा कम ही होता है। आखिरी बार इतना शक्तिशाली तूफान 1859 में आया था जब यूरोप में टेलिग्राफ सिस्टम बंद हो गया था।

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