रामबाण नहीं है कोरोना की वैक्सीन, जानिए डॉक्टर ऐसा क्यों कह रहे हैं

दुर्गेश नंदन झा, नई दिल्लीवैक्सीनेशन के बाद भी कोई शख्स से बचाव के तौर पर मास्क लगाने या बार-बार हाथ धोना बंद नहीं कर सकता है। अगर आपको टीका लग भी जाता है तो भी ऐसा करना जरूरी रहेगा। डॉक्टरों का कहना है कि यदि आप कोरोना संक्रमित होते हैं, तो वैक्सीन गंभीर परिणामों से बचाने में मदद कर सकती है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि क्या यह संक्रामकता को कम कर सकता है।

अमेरिका में क्लिनिकल असोसिएट प्रफेसर डॉ. उमा मल्होत्रा ने बुधवार को नीति आयोग और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सहयोग से AIIMS की ओर से आयोजित वेबिनार में कहा कि वैक्सीन केवल सुरक्षा बढ़ाती है। उन्होंने कहा, ‘हमने वैक्सीन टेस्ट से जो सीखा है, वह यही है कि हम लक्षण के संक्रमण को रोक रहे हैं। जिनमें लक्षण नहीं है, उनमें संक्रमण रुकते नहीं देखा गया। टीके के बाद बीमारी से सुरक्षा प्राप्त करते नजर आ रहे हैं, लेकिन तब भी दूसरों को संक्रमण फैलाने में सक्षम हो सकते हैं। हमारे पास वह डेटा नहीं है। हमें सभी को इस बारे में जानकारी देने की जरूरत है।’

AIIMS निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि टीकाकरण किसी को भी कोविड से बचाव के तौर पर जरूरी व्यवहार से दूर होने की आजादी नहीं देता है। भारत ने देश में इंमर्जेंसी इस्तेमाल के लिए दो टीके, कोवैक्सिन और कोविशील्ड को मंजूरी दी है।

कोवैक्सीन को भारत बायोटेक ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के सहयोग से विकसित किया है जबकि कोविशील्ड को ऑक्सफोर्ड और एस्ट्राजेनेका ने विकसित किया है।

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नीति अयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल ने कहा कि 13 जनवरी को वैक्सीन के रोलआउट के लिए पूरी तैयारी कर ली गई हैं। हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि पहले चरण में कौन सा टीका दिया जाएगा।

उन्होंने कहा कि वह कोवैक्सिन को व्यक्तिगत रूप से पसंद करते थे क्योंकि यह एक स्वदेशी टीका है। उन्होंने कहा, ‘अगर जरूरत हो तो मैं वैक्सीन को सार्वजनिक रूप से लेने के लिए तैयार हूं।’ स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि वैक्सीनेशन सेंटर पर सोशल डिस्टैंसिंग रखना जरूरी रहेगा। उन्होंने कहा कि टीकाकरण केंद्रों पर भीड़ संभव है लेकिन इसे रोका जाना चाहिए अन्यथा, ये सेंटर ‘संक्रमण के केंद्र’ बन सकते हैं।

सीएमसी वेल्लोर माइक्रोबायोलॉजी के प्रफेसर डॉ. गगनदीप कंग ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इन्फ्लूएंजा और कोविड टीके के बीच दो सप्ताह के अंतराल की सिफारिश की है। उन्होंने साथ ही कहा कि डब्लूएचओ अभी केवल फाइजर की सिफारिश कर रहा है, मॉडर्ना की नहीं। इसलिए, एमआरएनए वैक्सीन के लिए सिफारिश दो सप्ताह के अंतराल को बनाए रखने के लिए है, ”कांग ने कहा

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