सरकार और नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारी किसान संगठनों के बीच आज यानी शुक्रवार 8 जनवरी 2021 को आठवें दौर की वार्ता होगी। कहा जा रहा है कि आठवें दौर की वार्ता में सरकार की ओर से कुछ नए प्रस्ताव पेश किए जा सकते हैं। विज्ञान भवन में शुक्रवार को होने वाली वार्ता में सरकार की तरफ से किसानों के समक्ष नया फार्मूला पेश किया जा सकता है।
वार्ता से एक दिन पहले यानी गुरुवार तक किसान संगठन अपने-अपने रुख पर अड़े रहे। प्रदर्शनकारी किसानों ने तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने की अपनी मांग को लेकर ट्रैक्टर रैलियां निकाली, जबकि केंद्र ने इस बात पर जोर दिया कि वह इन कानूनों वापस लेने के अलावा हर प्रस्ताव पर विचार के लिए तैयार है। दोनों पक्ष गतिरोध दूर करने की कोशिश कर रहे हैं।
इसबीच, ऐसी अफवाहें भी सुनने को मिल रही हैं कि कुछ राज्यों को केंद्रीय कृषि कानूनों के दायरे से बाहर निकलने की अनुमति दी जा रही है, लेकिन किसान संगठनों ने कहा कि उन्हें सरकार से इस प्रकार का कोई प्रस्ताव नहीं मिला है। केंद्रीय ने इस प्रकार का कोई प्रस्ताव दिए जाने की बात से इनकार किया है।
तोमर बोले- मैं सबसे मिलूंगा चाहे वे किसान हों या नेता
यह पूछे जाने पर कि क्या प्रस्तावों में राज्यों को नये केंद्रीय कानून लागू करने की छूट दी गई है, तोमर ने कहा , ‘नहीं।’ इसके साथ ही तोमर ने यह भी कहा, “मैं उनसे (बाबा लखा से) बात करना जारी रखूंगा। वह आज दिल्ली आए हैं, यह खबर बन गई। मेरा उनसे पुराना संबंध है।” यह पूछे जाने पर कि गतिरोध को समाप्त करने के लिए प्रदर्शनकारी किसानों और सरकार के बीच मध्यस्थता कर सकने वाले पंजाब के किसी अन्य धार्मिक नेता से क्या वह मिलेंगे, तोमर ने कहा, “मैं उनसे मिलूंगा–चाहे वे किसान हों या नेता।”
विज्ञान भवन में 2 बजे होगी आठवें दौर की वार्ता
तोमर, खाद्य मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्य मंत्री सोम प्रकाश 40 प्रदर्शनकारी किसान संगठन नेताओं के साथ सरकार की ओर से वार्ता का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। आठवें दौर की वार्ता शुक्रवार अपराह्न 2 बजे विज्ञान भवन में होगी। इससे पहले चार जनवरी को हुई बैठक के बेनतीजा रहने के बाद यह बैठक अहम है। सरकार ने 30 दिसंबर 2020 को छठे दौर की वार्ता में किसानों की बिजली सब्सिडी और पराली जलाने संबंधी दो मांगों को मान लिया था। इससे पहले की किसी वार्ता में कोई सफलता नहीं मिली थी।
कृषि कानूनों रद्द किए जाने से कम कुछ भी स्वीकार नहीं: किसान नेता
किसान नेता शिव कुमार कक्का ने कहा, “मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि संयुक्त किसान मोर्चा को तीन कृषि कानूनों से राज्यों को बाहर निकलने की अनुमति देने का कोई प्रस्ताव नहीं मिला है। हम इन कानूनों रद्द किए जाने और हमारी फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी से कम कुछ भी स्वीकार नहीं करेंगे।” किसान नेता ने कहा, “अगर यह (प्रस्ताव) सही बात है तो यह सरकार की ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति है।”
भारतीय किसान यूनियन (एकता उग्राहण) प्रमुख जोगिंदर सिंह ने भी सरकार से इस प्रकार का कोई प्रस्ताव मिलने की बात से इनकार किया है। स्वराज अभियान के नेता योगेंद्र यादव ने फेसबुक के जरिए संवाद के दौरान सरकार पर ‘अफवाह फैलाने’ का आरोप लगाया।