Exclusive: सोशल मीडिया ट्रायल पर बरसे अर्जुन रामपाल, कहा- 5 मिनट में फुस्‍स हो जाता है जोश

बॉलिवुड ऐक्टर बीते दिनों अपने काम से ज्‍यादा ड्रग्‍स केस में एनसीबी की नोटिस और पूछताछ को लेकर ज्‍यादा सुर्खियों में रहे। हालांकि, निजी जिंदगी में मची उथल-पुथल के बावजूद अर्जुन एक सच्चे प्रफेशनल की तरह अपनी फिल्मों की शूटिंग और प्रमोशन में जुटे रहे। नए साल पर फैंस के लिए वह ओटीटी पर फिल्म ‘नेल पॉलिश’ लेकर आए हैं। ‘नवभारत टाइम्‍स’ से बातचीत के दौरान अर्जुन ने जहां अपनी फिल्‍म के बारे में बात की, वहीं निजी जिंदगी की परेशानियों और सोशल मीडिया ट्रायल पर भी बात रखी। अर्जुन ने कहा कि सोशल मीडिया पर किसी की बुराई करके या किसी के प्रति नफरत दिखाकर शायद पांच या दस मिनट के लिए आप खुद को हीरो बता सकते हैं, लेकिन सच यही है कि पांच मिनट बाद वह जोश फुस्स हो जाता है।

फिल्म ‘नेल पॉलिश’ में आपका किरदार काफी इंटेंस है, आपने कोरोना के खतरे के बीच शूटिंग की। कोस्टार मानव कौल और आनंद तिवारी पॉजिटिव भी हुए, तो ओवरऑल कितना चैलेंजिंग रहा ये सब?फिल्म अगर चैलेंजिंग न हो, तो करनी ही नहीं चाहिए, मुझे पहला खयाल यही आता है, पर जिन हालातों में हमने फिल्म शूट की, वह बहुत ही अलग अनुभव था। सबको सोशल डिस्टेंसिंग में रहना होता था, मिलजुलकर काम नहीं कर सकते थे, जैसा अमूमन सेट पर होता है। हमारे क्रू के आधे लोग अगर अभी मिले, बिना मास्क के, तो शायद मैं उनको पहचान भी न पाऊं (हंसते हैं)। कितने लोगों के चेहरे ही नहीं देख पाए। शुरू में ये अजीब लगता था, पर इंसान एक ऐसा जानवर है, जो सबसे जल्दी खुद को परिस्थितियों के हिसाब ढाल लेता है। हम सब कोविड टेस्ट कराने के बाद मिले। हमने पहले ही खूब तैयारी की, क्योंकि हम जानते थे कि जितनी जल्दी काम खत्म होगा, उतना हम खुद को कोविड से बचा पाएंगे। मेरे लिए सबसे चैलेंजिंग ये था कि जो कहानी है, उसे हम अच्छी तरह से दिखा पाए, क्योंकि कहानी लिखी बहुत खूबसूरत थी, हमारी चुनौती ये थी कि हम उसे रियल बना सकें। किरदारों को इंसान का रूप दे सकें। मैं जब भी कोई रोल करता हूं, तो उस किरदार की कमियां, मजबूरी, ताकत, हीरोइजम ये सब ढूंढ़ता हूं, क्योंकि जब ये सारे शेड्स मिलते हैं, तभी वह एक इंसान बनता है।

आपके घर में आपका छोटा सा बेटा भी है, कोरोना महामारी के बीच शूटिंग के लिए जाते डर नहीं लगा?आपने बहुत ही अच्छा सवाल किया। आप पहली जर्नलिस्ट हैं, जिसने ये पूछा कि अपने बच्चे को लेकर क्या सावधानी रखी, तो मेरे लिए सबसे मुश्किल चीज यही थी कि जब मैं घर जाता था, तो मैं उसके करीब नहीं जा पाता था। मुझे उससे दूर रहना होता था और फिर जब मानव और आनंद का कोविड टेस्ट पॉजिटिव आया, तब दो हफ्ते के लिए मुझे भी अलग कमरे में अकेले रहना पड़ा। मैं अपने ही घर में दो हफ्ते के लिए क्वारंटीन था। मेरा बच्चा बेचारा तो ये जानता नहीं था कि मेरे पिता जी मुझसे दूर क्यों भाग रहे हैं, मुझे उठा क्यों नहीं रहे हैं या मेरे साथ खेल क्यों नहीं रहे हैं? पर अभी मैं उसके साथ हूं, तो मैं कोशिश कर रहा हूं कि वो सारी कमी पूरा कर दूं।

यह फिल्म नए साल पर रिलीज हुई है। 2020 लोगों के लिए बहुत मुश्किल रहा, आप बीते साल को कैसे देखते हैं और नए साल से क्या उम्मीद कर रहे हैं?2020 ने एक पॉज बटन दबा दिया था। मेरे खयाल से ये पॉज बटन हमारे पर्यावरण, हमारी धरती मां ने दबा दिया, क्योंकि इंसान इस दुनिया, इस प्रकृति के साथ बहुत ज्यादती कर रहा है। हमें एक अहम चीज सीखने को मिली कि हम एक चूहा-दौड़, एक भागमभाग में फंस गए थे, जो बेमाने है। जो चीजें आपके लिए जरूरी है, वह है परिवार, जो लोग आपसे प्यार करते हैं। काम आप किसके लिए करते हैं? अपने घरवालों, बच्चों के लिए न। हमें ये सीखने को मिला कि भूख की कीमत होती है, रोटी की नहीं। अगर हम बड़े इंसान बनें, सेंसिटिव बनें, लालच कम करें। ये नहीं कि मुझे सिर्फ और चाहिए, और चाहिए, तभी हमारा भविष्य सलामत है, वरना अगर हम फिर उसी रूटीन में घुस जाएं और वही गलतियां करते रहे, तो कल एक दूसरा वायरस आ जाएगा, फिर कोई तीसरा आ जाएगा, जो और ज्यादा जानलेवा होगा। दूसरे, मुझे लगता है कि हमें ज्यादा प्यार फैलाने की जरूरत है, नफरत नहीं। आजकल वह बहुत ज्यादा हो रहा है। लोग फ्रस्ट्रेट हो जाते हैं और अपनी फ्रस्ट्रेशन में गलत चीजें बोलते हैं, करते हैं। इसे खत्म करने की जरूरत है। हमें इंसान के तौर पर बेहतर होने की जरूरत है। अगर हमने इससे नहीं सीखा, तो आने वाली पीढ़ियों के लिए बहुत ही खराब दुनिया छोड़कर जाएंगे।

आजकल सोशल मीडिया पर भी अलग ही ट्रायल चलता है, फैसले भी सुना दिए जाते हैं। आप इस पर क्या सोचते हैं?देखिए, अगर कोई भी इंसान, बगैर किसी जवाबदेही के, मतलब आपका नाम किसी को पता नहीं, आपकी आईडी नकली है, किसी को कुछ बोलता है, उसका क्या मतलब है। किसी की बुराई करके या किसी के प्रति नफरत दिखाकर, शायद पांच या दस मिनट के लिए आपको लगे कि देखो, मैंने ऐसे बोल दिया या ऐसा कर दिया, पर पांच मिनट के बाद वो जोश फुस्स हो जाता है, फिर आप दोबारा वही करते हैं, तो यह आपको खुद सोचना है। मैं किसी को नहीं बता सकता कि उसे क्या करना चाहिए, क्या नहीं करना चाहिए। न ही मैं किसी के बारे में जजमेंटल होना चाहता हूं। हर इंसान अपनी जिंदगी के लिए खुद जिम्मेदार है। मेरे हिसाब से ऐसे लोगों को समझना चाहिए कि ये बहुत ही नेगेटिव पैटर्न है। ऐसा करके वे अपना ही नुकसान कर रहे हैं। ठीक है, कुछ लोगों को बुरा लग जाएगा, कुछ लोगों पर थोड़ा हावी पड़ जाता है कुछ टाइम के लिए, लेकिन आखिर में हमेशा सच ही जीतता है। सचाई को आप छिपा नहीं सकते। चाहे जितनी भी कोशिश कर लो, सच हमेशा उभरकर बाहर आता ही है। इसलिए मुझे ये ज्यादा परेशान नहीं करता, क्योंकि मैं उसमें ज्यादा घुसता भी नहीं हूं। मैं अपने छोटे से परिवार और अपने काम में खुश हूं।

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