कोरोना वैक्‍सीन लगवाने के 16 दिन बाद स्‍वस्‍थ डॉक्‍टर की मौत, प‍त्‍नी ने टीके को ठहराया ज‍िम्‍मेदार

वॉशिंगटन
अमेरिका के मियामी शहर में डॉक्‍टर ग्रेगरी माइकल (56) की फाइजर की कोरोना वायरस वैक्‍सीन लगवाने के 16 दिन बाद मौत हो गई। डॉक्‍टर ग्रेगरी की पत्‍नी हेइदी नेकेलमान ने कहा कि 18 दिसंबर को उनके पति को कोरोना वैक्‍सीन लगने से पहले वह पूरी तरह से स्‍वस्‍थ और एक्टिव थे। यही नहीं डॉक्‍टर को पहले से कोई बीमारी भी नहीं थी। पत्‍नी ने कहा कि वैक्‍सीन लगने के बाद उनके पति के खून में रहस्‍यमय गड़बड़ी आ गई थी।

डॉक्‍टर ग्रेगरी की रविवार सुबह अचानक से रोग प्रतिरोधक क्षमता से जुड़ी दुर्लभ बीमारी होने के बाद हार्ट अटैक से मौत हो गई। डॉक्‍टर ग्रेगरी की पत्‍नी का मानना है कि फाइजर की कोरोना वैक्‍सीन ने कहीं न कहीं से इस बीमारी को पैदा किया। हेइदी नेकेलमान ने डेलीमेल से कहा, ‘मेरा मानना है कि डॉक्‍टर ग्रेगरी की मौता का सीधा संबंध वैक्‍सीन से है। इसकी कोई और व्‍याख्‍या नहीं हो सकती है।’

फाइजर ने कहा, डॉक्‍टर के मौत की कर रहे जांच
हेइदी ने कहा, ‘डॉक्‍टर ग्रेगरी पूरी तरह से स्‍वस्‍थ थे। वह सिगरेट भी नहीं पीते थे। कभी कभी ही वह शराब पीते थे। वह व्‍यायाम करते थे और समुद्र में गोते लगाते थे। उन्‍होंने मेरे पति की हर तरह से जांच की। यहां तक कि कैंसर की भी जांच की गई और उनके अंदर कुछ भी गलत नहीं पाया गया।’ उधर, इस मौत पर फाइजर कंपनी ने कहा है कि उन्‍हें डॉक्‍टर ग्रेगरी के ‘बहुत ही असामान्‍य’ मौत की जानकारी है और वे इसकी और ज्‍यादा जांच कर रहे हैं।

कंपनी के प्रवक्‍ता ने कहा, ‘इस समय हम नहीं मानते हैं कि वैक्‍सीन का डॉक्‍टर ग्रेगरी की मौत से कोई सीधा संबंध है।’ बताया जा रहा है कि वैक्‍सीन लगने के बाद डॉक्‍टर ग्रेगरी के अंदर तत्‍काल कोई साइड इफेक्‍ट नहीं देखा गया था। हालांकि 3 दिन बाद जब डॉक्‍टर नहा रहे थे, उस समय उन्‍होंने देखा कि हाथ और पैर पर खून की तरह से लाल चकत्‍ते पड़े हुए हैं। जब उन्‍होंने खुद ही अपने माउंट सिनाई मेडिकल सेंटर में अपनी जांच की तो अन्‍य डॉक्‍टरों को पता चला कि वह प्‍लेटलेट की भारी कमी से जूझ रहे हैं। इसी अस्‍पताल में डॉक्‍टर ग्रेगरी को टीका लगाया गया था।

डॉक्‍टर ग्रेगरी के प्‍लेटलेट्स जीरो तक पहुंच गए
हेइदी ने कहा, ‘प्‍लेटलेट्स को छोड़कर खून की सारी जांच सामान्‍य आई। प्‍लेटलेट्स जीरो तक पहुंच गए। पहली बार डॉक्‍टर ग्रेगरी की जांच कर रहे डॉक्‍टरों ने सोचा कि यह गलती से हुआ है। इसलिए उन्‍होंने दोबारा जांच की तो केवल एक प्‍लेटलेट दिखाई दिया। इसके बाद भी डॉक्‍टर ग्रेगरी सामान्‍य थे और ऊर्जा से भरे हुए थे। डॉक्‍टरों ने ग्रेगरी को घर नहीं जाने की सलाह दी क्‍योंकि यह बहुत ही खतरनाक था। इससे उनके सिर में बहना शुरू हो जाता और उनकी मौत हो जाती है।’ प्‍लेटलेट्स आमतौर पर 150,000 से 450,000 के बीच रहते हैं।

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