भ्रष्‍टाचार पर योगी सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति, 2 सालों में 2100 सरकारी कर्मियों पर ऐक्‍शन

हेमेन्द्र त्रिपाठी, लखनऊ
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तरफ से यूपी में फैले भ्रष्टाचार और अपराध के खिलाफ जारी जीरो टॉलरेंस नीति के चलते अबतक 2100 से ज्यादा अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। इनमें कई दोषियों को जेल भी भेजा जा चुका है। यूपी सरकार ने मुरादनगर श्‍मशान घाट हादसे पर भी ईओडब्ल्यू (आर्थिक अनुसंधान शाखा) से जांच कराने के निर्देश दिए हैं।

प्रदेश में 2017 से 2019 तक अभियोजन विभाग ने 1648 भ्रष्टाचार के मामलों में अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ अदालतों में पैरवी की। कुल 42.85 फीसदी मामलों में सजा दिलाई गई। जानकारी के मुताबिक, 2017 की शुरुआत में 578 वाद लंबित थे जबकि 2017 में रंगेहाथ घूस लेते 38, नान ट्रैप में 14 के साथ पांच अन्य अफसरों और कर्मचारियों को गिरफ्तार किया गया। इसी श्रृंखला में वर्ष 2018 में भी घूस लेते हुए रंगेहाथ पकड़े गए 390 अधिकारियों और कर्मचारियों सहित नान ट्रैप में 130 विभागीय लोगों को हिरासत में लिया गया था। वहीं, अगर साल 2019 की बात करें तो इस साल में भी रंगेहाथ घूस लेते हुए 835 विभागीय लोगों के साथ-साथ नान ट्रैप में 241 अफसरों और कर्मचारियों को हिरासत में लिया गया। देखा जाए तो 2019 में रंगेहाथ घूस लेते पकड़े गए 26.47 फीसदी और नान ट्रैप पर 25 फीसदी अफसरों और कर्मचारियों को सजा दिलाई गई।

दो साल में 94 पीसीएस अफसरों पर ऐक्‍शन
नियुक्ति विभाग की तरफ से एक अप्रैल 2017 से अभी तक तकरीबन 94 पीसीएस अधिकारियों पर दंडात्मक कार्रवाई की गई है। वहीं, पुलिस विभाग ने भी भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों में कार्रवाई की है। पिछले दो सालों में 480 दोषी पुलिस कर्मियों के खिलाफ ऐक्‍शन लिया गया। इसमें 45 मामलों में मुकदमे किए गए और तीन मामलों में संबंधित पुलिसकर्मियों को बर्खास्त किया गया। इसके अलावा 68 पुलिस कर्मियों को दंडित किया गया।

गलत व्‍यवहार करने वाले 429 पुलिसकर्मियों को मिला दंड
पीड़ितों के साथ होने वाले दुर्व्यवहार को ध्यान में रखते हुए कई पुलिसकर्मियों पर भी कार्रवाई की गई है। पिछले दो वर्षों में 429 पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की गई। शासन की तरफ से की गई इस कार्रवाई में आरोपी पुलिसकर्मियों पर 14 मुकदमे दर्ज किए गए हैं और दो पुलिसकर्मियों को बर्खास्त भी किया गया। इसके अलावा 106 पुलिस कर्मियों को परनिंदा प्रवृष्टि आदि दंड से दंडित किया गया।

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