'मरेंगे या जीतेंगे' सरकार के साथ बैठक में आज ऐसा क्यों बोल रहे थे किसान नेता

नई दिल्ली
के बीच शुक्रवार को केंद्र और किसान नेताओं के बीच हुई आठवें दौर की बातचीत भी बेनतीजा रही। 15 जनवरी को अगले राउंड की बातचीत होगी। मीटिंग के दौरान किसान नेताओं के तेवर बहुत तल्ख थे। वह इस पर अड़े रहे कि सरकार कानूनों को वापस ले या फिर उन्हें साफ-साफ बताए कि उनका फैसला क्या है। किसान नेताओं ने सरकार से कहा कि उसके पास एग्रीकल्चर सेक्टर में दखल का अधिकार ही नहीं है। किसानों के तेवर का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बातचीत के दौरान के एक वीडियो में एक किसान नेता सरकार पर आरोप लगाते दिख रहे हैं कि उसका मन मामले के निपटारे का नहीं है। उन्होंने यहां तक कहा कि आप सरकार है, आपके पास ताकत है, आपको लोगों की बातें कम लगती हैं।

किसी कोर्ट नहीं जाएंगे, कानून वापस होने तक लड़ाई जारी रहेगी: हन्नान मोल्लाह
बातचीत खत्म होने के बाद ऑल इंडिया किसान सभा के जनरल सेक्रटरी हन्नान मोल्लाह ने कहा कि कानून वापस होने तक उनकी लड़ाई जारी रहेगी। उन्होंने बताया, ‘गरमा-गरम बातचीत हुई, हमने कहा कि हम कानूनों को वापस लेने के अलावा कुछ नहीं चाहते। हम किसी कोर्ट नहीं जाएंगे, या तो कानून वापसी होगी या हम अपनी लड़ाई जारी रखेंगे। 26 जनवरी का हमारा परेड भी योजना के हिसाब से होगा।’

सरकार के पास एग्रीकल्चर सेक्टर में दखल का अधिकार ही नहीं: किसान नेता
वीडियो में एक किसान नेता सरकार से साफ-साफ कह रहे हैं कि वह कृषि क्षेत्र में बिल्कुल दखल नहीं दे सकती। वीडियो में वह कहते दिख रहे हैं, ‘आप इस जिद पर अड़े हैं, यह तो स्थापित तथ्य है कि आप कृषि क्षेत्र में बिल्कुल दखल नहीं दे सकते। लेकिन आप अपने जॉइंट सेक्रटरी को लगा देंगे फिर सेक्रटरी को लगा देंगे, वो कोई न कोई लॉजिक देते रहेंगे। मेरे पास भी लिस्ट है लेकिन हमें बहस नहीं करनी है इस पर। मेरे पास भी लिस्ट है कि कितने केस सुप्रीम कोर्ट में गए और कोर्ट ने फैसला किया कि आप नहीं दखल दे सकते।’

जिसके पास ताकत है, उसकी बात ज्यादा होती है: किसान नेता
किसान नेता ने सरकार को यहां तक कहा कि वह ताकतवर है इसलिए उसे लोगों की बातें कम लगती है। इस तरह उन्होंने सरकार पर एक तरह से आरोप लगाया कि किसानों के आंदोलन से उस पर रत्तीभर फर्क नहीं पड़ रहा है, उसे किसान आंदोलन छोटी बात लग रही है। किसान नेता ने कहा, ‘फिर भी आपका फैसला है क्योंकि आप सरकार हैं इसलिए लोगों की बात शायद कम लगती है आपको। क्योंकि जिसके पास ताकत है उसकी बात ज्यादा होती है न। वो इतने दिनों से बार-बार इतनी चर्चा हो रही है, आप जिस तरह का आपका मूड लग रहा है उससे लगता है कि आप का मन निपटाने का नहीं है। आप साफ-साफ जवाब दे दीजिए हम चले जाएंगे।’

किसानों के तेवर- ‘मरेंगे या जीतेंगे’
किसानों ने लंच ब्रेक के दौरान भी तख्तियों के माध्यम से सरकार को चेताने की कोशिश की कि कानूनों के वापस होने तक उनका आंदोलन जारी रहेगा। ऐसे ही एक तख्ती में लिखा था- या तो मरेंगे या जीतेंगे।

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सरकार की अपील- किसान नेता पंजाब और हरियाणा के हितों से आगे सोचें
लंच से पहले की बातचीत में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसान संगठनों के नेताओं से कहा कि कानून सारे देश के लिए बनते हैं। किसान संगठनों को महज पंजाब और हरियाणा के हितों से इतर भी देखना चाहिए।

राजेवाल बोले- कानून वापस कीजिए, राज्यों को अपना कानून बनाने दीजिए
लंच से पहले की बातचीत के दौरान किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से कहा कि आप कृषि कानूनों को वापस लीजिए और राज्यों को अपने-अपने कानून लाने दीजिए। राजेवाल ने कानूनों में संशोधन की बातचीत को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने तोमर से कहा कि केंद्र के पास कानून बनाने का संवैधानिक अधिकार ही नहीं है। राजेवाल ने कहा कि सरकार को अपने कानूनी सलाहकारो से इसका रास्ता पूछ सकती है कि कानूनों को किस तरह से वापस लिया जा सकता है या फिर सरकार हमसे साफ-साफ कहे कि कानूनों को वापस नहीं ले सकते और हम तुरंत हॉल छोड़ देंगे।

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