नयी दिल्ली, आठ जनवरी (भाषा) भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने अनुवर्ती सार्वजनिक निर्गम (एफपीओ) नियमों को उदार किया है। इससे कंपनियों के प्रवर्तक अधिक सुगमता से कोष जुटा सकेंगे। सेबी की ओर से शुक्रवार को जारी अधिसूचना के अनुसार एफपीओ में प्रवर्तकों के न्यूनतम योगदान की अनिवार्यता तथा जारीकर्ताओं के लिए लॉक-इन अवधि जरूरत को समाप्त किया गया है। अभी तक प्रवर्तकों को कंपनी के एफपीओ में 20 प्रतिशत का योगदान देना होता है। इसके अलावा सार्वजनिक रूप से कोई पूंजी जारी करने पर प्रवर्तकों के न्यूनतम योगदान को तीन साल के लिए ‘बंधन में’ रखना होता है। नियामक ने कहा कि यह छूट उन कंपनियों को मिलेगी जिनके शेयरों में कम से कम तीन साल से शेयर बाजारों में लगातार कारोबार हो रहा है। इसके अलावा इन कंपनियों के लिए निवेशकों की 95 प्रतिशत शिकायतों का समाधान करना भी अनिवार्य होगा।