पैरों से मासूम करता है हाथों के काम, देखने वाले कहते हैं चमत्कार

नरेंद्र नाथ अवस्थी, उन्नाव
मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है। पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है… ये पंक्तियां 6 वर्षीय मासूम पर सटीक बैठती है। जन्म से ही उसके दोनों हाथ नहीं है। समय के साथ उसने अपने पैरों पर खड़ा होना सीखा। आज 6 साल के बाद मासूम अपने पैरों का इस्तेमाल बड़ी ही खूबसूरती से करता है।

इतनी सुंदर राइटिंग कोई हाथों से नहीं लिखता होगा। जितना यह मासूम अपने पैरों से लिख लेता है। मासूम की शारीरिक अपंगता कभी उसके दिनचर्या में आड़े नहीं आई। आज यह मासूम दिव्यांग के लिए आदर्श प्रस्तुत कर उनके हौसलों को उड़ान दे रहा है।

पैरों की उंगलियों का खूबसूरती से इस्तेमाल
यूपी के उन्नाव में बिछिया विकास खंड के गांव दुर्जन खेड़ा निवासी अशोक की पत्नी तन्नी देवी ने 29 अक्टूबर, 2014 को बेटे को जन्म दिया। लेकिन बेटे की जन्म के थोड़ी ही देर बाद ही उनकी खुशियां गायब हो गई। जब पता चला कि नवजात के दोनों हाथ नहीं है।

डॉक्टरों ने भी परीक्षण किया, लेकिन सफलता नहीं मिली। बिना हाथ के पुत्र को देख माता-पिता की चिंताएं बढ़ने लगी कि मासूम कैसे अपना जीवन यापन करेगा। माता-पिता ने मासूम का नाम पवन रखा। समय के साथ पवन ने अपनी सोच विकसित की और हाथ का काम पैरों से लेने लगा। आज पवन दूसरे बच्चों के साथ शैतानी भी करता है।

आंगनवाड़ी केंद्र में करता पढ़ाई
साधारण परिवार में जन्मा पवन गांव के ही आंगनवाड़ी केंद्र में पढ़ाई करने जाता है। उसने पैर से ही हाथों का काम लेना शुरू किया और अंगुलियों के बीच पेंसिल पकड़ लिखने की कोशिश शुरू कर दी। आज जब वह 6 साल की उम्र पार कर चुका है।

पैरों की उंगलियों में पेंसिल पकड़ लिखने लगा। वह इस प्रकार लिखता है कि देखने वाले दांतों तले उंगली दबा लेते हैं। पैरों की उंगलियों से ही वह कॉपी, किताबों को खोलता है। यही नहीं, वह चाय के साथ बिस्कुट भी खाता है। अब इसे ईश्वरीय शक्ति या चमत्कार कहे, पवन लोगों के लिए आदर्श प्रस्तुत कर रहा है।

पवन को अपने हाथ ना होने का कष्ट है। लेकिन उसके हौसलों में कोई कमी नहीं है। पढ़ाई के साथ शैतानी भी खूब करता है और अपनी मंजिल की तरफ चल रहा है। आज पिता अशोक और मां तन्नो देवी बेटे पवन की कोशिशों को देखकर संतुष्ट हैं।

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