मर्चेंट नेवी में दिया नौकरी का झांसा, पहुंचा ईरान, जंगलों में छिपकर बचाई जान, सुनिए दर्दनाक दास्तान

आसिफ अली,
एक छात्र ईरान में 15 दिनों तक जंगलों में छिपता रहा, जानलेवा हमला भी सहा। आखिरकार विदेश मंत्री और स्थानीय बीजेपी सांसद के दखल के बाद शरीर पर चोटों के निशान लेकर भारत वापस लौट सका। ईरान में हुए जुल्म को याद करके छात्र सिहर जाता है। इतना प्रताड़ित हुआ कि जुल्म की दास्तान सुनाने के लिए उसको याद करना पड़ रहा है। दरअसल छात्र को उसके दोस्त ने मर्चेंट नेवी में नौकरी दिलाने का झांसा दिया और उसके बाद ईरान पहुंचा दिया। दोस्त ने साढे़ तीन लाख रुपये भी ठग लिए। विदेश मंत्री और बीजेपी सांसद के दखल के बाद ईरान में भारतीय दूतावास ने मोबाइल के माध्यम से छात्र को ढूंढा और सरकारी खर्च पर उसको वापस भारत भेज दिया।

पुलिस के अनुसार, थाना कलान क्षेत्र के जखिया गांव निवासी देवेंद्र खेतीबाड़ी का काम करते हैं। उनका इकलौता बेटा रिंकू इंटर की पढ़ाई करने के बाद दिल्ली से मर्चेंट नेवी का कोर्स कर रहा था। इस दौरान उसकी मेरठ के रहने वाले युवक से दोस्ती हो गई। दोस्त ने रिंकू को कोर्स करने के बाद मर्चेंट नेवी में नौकरी दिलाने के सपने दिखाए।

ईरान पहुंचते ही टार्चर हुआ
सपने पूरे करने की जद्दोजहद में छात्र ने पिता से साढे़ तीन लाख रुपये की रकम ली और नौकरी का सपना लिए दोस्त के हवाले कर दी। 15 दिसंबर 2020 को उसको मुंबई भेजा गया। नौकरी करने के बदले उसको साढे़ तीन सौ डालर सैलरी देने की बात की गई। छात्र ईरान पहुंचा और एजेंट के साथ होटल के कमरे में पहुंचते ही टार्चर होने का सिलसिला शुरू हो गया।

जंगलों में छिपता रहा छात्र
छात्र ने बताया कि कभी चाकू से तो कभी छुरी से टार्चर किया जाने लगा। मौका लगते ही छात्र कमरे से भाग निकला और जंगलों में छिपता रहा। इस दौरान छात्र ने फोन पर परिवार को सूचना दे दी। उसके बाद परिवार ने स्थानीय बीजेपी सांसद से संपर्क कर इकलौते बेटे से मिलाने की गुहार लगाई।

ऐसे किया संपर्क
बीजेपी सांसद अरुण सागर ने बताया कि 15 दिन पहले छात्र के पिता ने संपर्क किया था। पूरी डिटेल लेने के बाद विदेश मंत्री एस जय शंकर से फोन से संपर्क किया। ईमेल के जरिए उनको छात्र से जुड़ी सारी डिटेल भेजी गई। साथ ही छात्र का मोबाइल नंबर भी भेज दिया था। उधर विदेश मंत्री ने तत्काल संज्ञान लेते हुए ईरान में स्थित भारतीय दूतावास से संपर्क कर छात्र की डिटेल दी।

61 हजार का टिकट खरीदकर भेजा
15 दिन के अंदर ही ईरान के भारतीय दूतावास ने छात्र को ढूंढ निकाला और उसके बाद सरकारी खर्च पर 61 हजार रुपये का टिकट खरीदकर छात्र को सही सलामत भारत भेज दिया। यहां आते ही छात्र और उसके पिता बीजेपी सांसद के घर उसका आभार जताने के लिए पहुंचे।

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