सबसे पहले बात करते हैं, केंद्र और किसान संगठनों के बीच सात जनवरी को हुई आठवें दौर की बाचतीच में भी कोई समाधान निकलता नजर नहीं आया क्योंकि केंद्र ने विवादास्पद कानून निरस्त करने से इनकार कर दिया जबकि किसान नेताओं ने कहा कि वे अंतिम सांस तक लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हैं और उनकी ‘घर वापसी’ सिर्फ ‘कानून वापसी’ के बाद होगी। प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ द्वारा सोमवार को की जानी वाली सुनवाई महत्वपूर्ण है, क्योंकि केंद्र और किसान नेताओं के बीच 15 जनवरी को अगली बैठक निर्धारित है।
शीर्ष न्यायालय को केंद्र सरकार ने पिछली तारीख पर बताया था कि उसके और किसान संगठनों के बीच सभी मुद्दों पर ‘स्वस्थ चर्चा’ जारी है और इस बात की संभावना है कि दोनों पक्ष निकट भविष्य में किसी समाधान पर पहुंच जाएं। अदालत ने तब सरकार को भरोसा दिया था कि अगर वह उससे कहेगी कि बातचीत के जरिये समाधान संभव है तो वह 11 जनवरी को सुनवाई नहीं करेगी। अदालत ने कहा था, ‘हम स्थिति को समझते हैं और चर्चा को बढ़ावा देते हैं। हम सोमवार (11 जनवरी) को मामला स्थगित कर सकते हैं अगर आप जारी वार्ता प्रक्रिया की वजह से ऐसा अनुरोध करेंगे तो।’
आधार योजना मामले पर हो सकता है फैसला
दूसरी ओर, उच्चतम न्यायालय केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी आधार योजना की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखने के अपने आदेश के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिकाओं पर भी आज सुनवाई होनी है। माना जा रहा है कि सुप्रीम कोई इस पर आज फैसला सुना सकती है। अदालत ने अपने आदेश में योजना के कुछ प्रावधानों को खत्म करने की बात कही थी, जिसमें बैंक खातों, मोबाइल नंबरों और स्कूल में दाखिले की जानकारी आधार से जोड़ने का प्रावधान शामिल है।
क्या है पूरा मामलान्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, डी वाई चंद्रचूड़, अशोक भूषण, एस ए नजीर और बी आर गवई की पांच न्यायधीशों की पीठ 26 नवंबर 2018 के आदेश के खिलाफ दायर याचिकाओं पर फैसला सुनाएगी। उस समय प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा था कि आयकर रिटर्न दाखिल करने और पैन कार्ड बनवाने के लिए आधार अनिवार्य होगा। हालांकि, आधार नंबर को बैंक खातों से जोड़ना अनिवार्य नहीं होगा और न ही दूरसंचार सेवा प्रदाता मोबाइल कनेक्शन के लिए इसे जोड़ने की मांग कर सकते हैं।