ढूंढे नहीं मिल रहा दूर गैलेक्सी का महाविशाल ब्लैक होल, वैज्ञानिक परेशान, आखिर कहां छिपा?

ब्लैक होल्स के बारे में जितनी जानकारी आज है, उससे कहीं ज्यादा अनसुलझे सवाल हैं। ऐसे में एक ब्लैक होल को जहां होना चाहिए, वह वहां न हो तो चिंता होना लाजमी है। अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA की चंद्र एक्स-रे ऑब्जर्वेटरी और हबल स्पेस टेलिस्कोप से खोजने के बावजूद ऐस्ट्रोनॉमर्स को एक विशाल ब्लैक होल मिल नहीं रहा है। गैलेक्सी के आधार पर इसका वजन हमारे सूरज से 3-100 अरब गुना ज्यादा हो सकता है लेकिन वैज्ञानिकों को यह मिल हीनहीं रहा है।

Missing Black Hole: हर गैलेक्सी के केंद्र में एक विशाल ब्लैक होल होता है। ऐसी ही एक गैलेक्सी है Abell 2261 जिसके ब्लैक होल को वैज्ञानिक खोज रहे हैं। हालांकि, उन्हें अभी तक यह मिला नहीं है।

Black Hole Missing: ढूंढे नहीं मिल रहा दूर गैलेक्सी का महाविशाल ब्लैक होल, वैज्ञानिक परेशान, आखिर कहां छिपा?

ब्लैक होल्स के बारे में जितनी जानकारी आज है, उससे कहीं ज्यादा अनसुलझे सवाल हैं। ऐसे में एक ब्लैक होल को जहां होना चाहिए, वह वहां न हो तो चिंता होना लाजमी है। अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA की चंद्र एक्स-रे ऑब्जर्वेटरी और हबल स्पेस टेलिस्कोप से खोजने के बावजूद ऐस्ट्रोनॉमर्स को एक विशाल ब्लैक होल मिल नहीं रहा है। गैलेक्सी के आधार पर इसका वजन हमारे सूरज से 3-100 अरब गुना ज्यादा हो सकता है लेकिन वैज्ञानिकों को यह मिल हीनहीं रहा है।

सालों से चल रही है खोज
सालों से चल रही है खोज

धरती से 2.7 अरब प्रकाशवर्ष दूर गैलेक्सी क्लस्टर Abell 2261 में यह विशाल ब्लैक होल होना चाहिए था। लगभग हर गैलेक्सी के केंद्र में एक महाविशाल ब्लैक होल होता है जिसका द्रव्यमान हमारे सूरज से करोड़ों-अरबों गुना ज्यादा होता है। ऐस्ट्रोनॉमर्स मान रहे थे कि इस क्लस्टर की गैलेक्सी के बीच में ब्रह्मांड के सबसे विशाल ब्लैक होल में से एक होना चाहिए। चंद्र से 1999 और 2004 में मिले डेटा के आधार पर इसकी तलाश शुरू की गई थी। वे ऐसे मटीरियल डिटेक्ट कर रहे थे जो ब्लैक होल में गिरने के कारण गर्म हो जाएं और एक्स-रे उत्सर्जन हो लेकिन ऐसा कुछ मिला नहीं। (X-ray: NASA/CXC/Univ of Michigan/K. Gültekin; Optical: NASA/STScI and NAOJ/Subaru; Infrared: NSF/NOAO/KPNO)

कैसे ढूंढ रहे हैं वैज्ञानिक?
कैसे ढूंढ रहे हैं वैज्ञानिक?

साल 2018 में यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन के केहेन गुल्टेकिन की टीम ने गैलेक्सी के सेंटर में ब्लैक होल के पैदा होने की घटना पर नजर रखना शुरू किया। उन्हें संभावना दिखी कि अगर दो गैलेक्सी एक-दूसरे मिलकर एक ऑब्जर्वेबल गैलेक्सी बनती हैं, तो दोनों के ब्लैक होल मिलकर विशाल ब्लैकहोल की शक्ल भी ले सकते हैं। इस घटना में गुरुत्वाकर्षण तरंगें (Gravitational waves) पैदा होती हैं। अगर ये तरंगें किसी एक ही दिशा में होतीं तो ब्लैक होल गैलेक्सी के केंद्र से दूर चला जाता जिसे रीकॉइलिंग (recoiling black hole) कहते हैं। (प्रतीकात्मक तस्वीर)

क्यों अहम है ऐसा ब्लैक होल?
क्यों अहम है ऐसा ब्लैक होल?

वैज्ञानिकों को ऐसे ब्लैक होल्स के सबूत नहीं मिले हैं और यह भी नहीं पता है कि क्या कभी दो ब्लैक होल इतने करीब होते हैं कि ये तरंगें आपस में मिल जाएं। अभी तक सिर्फ छोटे ब्लैक होल्स मिलते हुए पाए गए हैं। अगर रीकॉइल सुपरमैसिव ब्लैक होल को डिटेक्ट किया जाता है तो इससे वैज्ञानिकों को गुरुत्वाकर्षण तरंगों के आधार पर दो विशाल ब्लैक होल्स के विलय को देखने के लिए ऑब्जर्वेटरी बनाने का आधार मिलेगा। (प्रतीकात्मक तस्वीर)

क्यों यहां ब्लैक होल की खोज है जारी?
क्यों यहां ब्लैक होल की खोज है जारी?

खास बात यह है कि Abell 2261 में ऐसा ब्लैक होल होने की उम्मीद ज्यादा है क्योंकि हबल और सुबारू ऑप्टिकल ऑब्जर्वेशन में एक गैलेक्टिक कोर मिली है जिसके अंदर एक खास जगह पर सितारों की संख्या बहुत ज्यादा है जो आमतौर पर इस गैलेक्सी के आकार के मुताबिक देखने को नहीं मिलती है। वहीं, गैलेक्सी के केंद्र से सितारों का सबसे घना क्षेत्र 2000 प्रकाशवर्ष दूर है। इससे केंद्र में ब्लैक होल की मौजूदगी के संकेत मिलते हैं। इसके आधार पर स्पेस टेलिस्कोप साइंस इंस्टिट्यूट के मार्क पोस्टमैन और उनके साथियों ने संभावना जताई थी कि यहां दो ब्लैक होल के विलय से बना विशाल ब्लैकहोल मौजूद है। हालांकि, चंद्र या हबल के डेटा से इसे साबित नहीं किया जा सका है। (Credit: NASA/CXC, NASA/STScI, NAOJ/Subaru, NSF/NRAO/VLA)

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