सुप्रीम कोर्ट ने तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन कर रहे किसानों के साथ तालमेल नहीं बिठाने पर सरकार को कड़ी फटकार लगाई तो विपक्ष की बाछें खिल गईं। कांग्रेस पार्टी अब इस फिराक में जुट गई है कि कैसे किसानों के मुद्दे पर पूरे विपक्ष को एक प्लैटफॉर्म पर लाकर सरकार पर दबाव बढ़ाया जाए। पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इसके लिए विपक्षी दलों के नेताओं से बात भी कर ली है।
सोनिया ने की विपक्षी दलों के नेताओं से बात
सोनिया गांधी ने किन-किन नेताओं से बात की है, इसकी जानकारी तो अभी सामने नहीं आ पाई है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि उन्होंने बातचीत में सबको एक मंच पर आने की अपील की है। कांग्रेस अध्यक्ष ने विपक्षी नेताओं को एकजुट होकर किसानों के मुद्दे पर संयुक्त रणनीति बनाने का सुझाव दिया। सूत्रों की मानें तो संसद के बजट सत्र से पहले विपक्षी दलों की एक मीटिंग में भी होगी।
सुप्रीम कोर्ट की सरकार को फटकार
ध्यान रहे कि सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सुनवाई को दौरान कहा कि वो कृषि कानूनों पर किसानों की चिंताओं को दूर करने के लिए कमिटी गठित करेगा। संभव है कि कमिटी का सुझाव आने के बाद कुछ रास्ता निकलने तक कृषि कानूनों पर रोक भी लगा दी जाए। देश की सर्वोच्च अदालत के इसी कड़े रुख को देखते हुए कांग्रेस पार्टी ने फिर से कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग कर डाली।
रणदीप सुरजेवाला ने कहा- कानून वापस ले सरकार
पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट किया, “उच्चतम न्यायालय राजनीतिक मुद्दों का निर्णय करता है, राजनीतिक बेईमानी से खेती को पूंजीपतियों के दरवाजे पर बेचने की साजिश का नहीं। सवाल तीन कृषि विरोधी कानूनों में एमएसपी और अनाजमंडियों को खत्म करने का है, किसान को अपने ही खेत में गुलाम बनाने का है। इसलिए कानून रद्द करने होंगे।”
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार कानूनों में 18 संशोधन करने के लिए तैयार है। इसकी मतलब है ये कानून गलत हैं।
भूपेंदर सिंह हुड्डा ने की MSP पर कानून लाने की मांग
वहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंदर सिंह हुड्डा ने कहा कि आज सुप्रीम कोर्ट ने वही कहा जो वो लंबे समय से कहते आ रहे हैं। उन्होंने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर कानून लाने का मांग की।
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के रवैये पर जताई नाराजगी
उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि नए कृषि कानूनों को लेकर जिस तरह से केन्द्र और किसानों के बीच बातचीत चल रही है, उससे वह बेहद निराश है। प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने कहा, “क्या चल रहा है? राज्य आपके कानूनों के खिलाफ बगावत कर रहे हैं।” उसने कहा, “हम बातचीत की प्रक्रिया से बेहद निराश हैं।”
पीठ ने कहा, “हम आपकी बातचीत को भटकाने वाली कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते लेकिन हम इसकी प्रक्रिया से बेहद निराश हैं।” पीठ में न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी. रामसुब्रमण्यन भी शामिल थे।