नैशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन ने वाराणसी से दिल्ली के बीच प्रस्तावित हाई स्पीड रेल कॉरिडोर के सर्वे का काम शुरू कर दिया है। मौसम साफ होने के बाद रविवार को विशेष हेलीकॉप्टर के जरिए एक्सपर्ट की टीम ने एरियल लीडार तकनीक से जमीन सर्वे का काम शुरू किया। 800 किलोमीटर का यह सफर इस ट्रेन से महज 3 घंटे में पूरा होगा। इस परियोजना में अयोध्या को भी जोड़ा गया है।
नैशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन की प्रवक्ता सुषमा गौड़ ने बताया कि पहले फेज में ग्रेटर नोएडा से आगरा के बीच करीब 120 किलोमीटर का हवाई सफर कर प्रस्तावित कॉरिडोर के सर्वे के लिए टीम ने आंकड़े कैप्चर किए। आगे भी सर्वे का काम जारी रहेगा।
चार महीने में पूरा होगा सर्वे
वाराणसी-दिल्ली हाई स्पीड रेल कॉरिडोर के लिए कॉर्पोरेशन अगले 3 से 4 महीनों तक दिल्ली से वाराणसी के बीच हवाई सर्वे कर आंकड़े इकट्ठा करेगी। इसके बाद प्रस्तावित कॉरिडोर के लिए डीपीआर तैयार किया जाएगा। उसके बाद जमीन अधिग्रहण का काम शुरू होगा।
खराब मौसम के कारण दिसंबर में टला था सर्वे
कॉरिडोर के सर्वे का काम 13 दिसंबर से शुरू होना था। लेकिन खराब मौसम के कारण नैशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन को इसे टालना पड़ा था। अब मौसम में सुधार के बाद एक बार सर्वे का काम शुरू हो गया है।
अक्टूबर 2020 में रेल मंत्रालय ने दी थी हरी झंडी
वाराणसी-दिल्ली के बीच हाई स्पीड ट्रेन को 29 अक्टूबर को रेल मंत्रालय ने हरी झंडी दी थी। ये हाई स्पीड ट्रेन देश की राजधानी से सांस्कृतिक राजधानी काशी सहित यूपी के प्रमुख पर्यटन स्थलों को जोड़ेगा।
धार्मिक शहरों से जुडेगा कॉरिडोर
बुलेट ट्रेन से अयोध्या को भी जोड़ा जाएगा। ऐसे में इस कॉरिडोर से जुड़ने वाले शहर मथुरा, आगरा, इटावा, लखनऊ, अयोध्या, रायबरेली, प्रयागराज और वाराणसी होंगे।
क्या होता है लीडार सर्वे
इस तकनीक के माध्यम से आसमान से जमीन पर बनाए जाने वाले मार्गो का सर्वेक्षण किया जाता है जिसमे समय की बचत के साथ खर्च भी कम होता है। इसमें हेलीकॉप्टर में एक डिवाइस लगाकर डाटा इकट्ठा किया जाता है जिसमें यह जानकारी मिलती है कि रास्ता कैसा है, कहां पर नदी और नाले हैं और कहां घनी बस्तियां हैं। रूट कितना टेढ़ा-मेढ़ा है, कितना सीधा है, इन रूटों पर कितनी नदियां हैं, किस तरह की जमीन है, रूट पर कितनी बिल्डिंग हैं, कितने टॉवर हैं, इनकी लंबाई-चौड़ाई कैसी है, इसका भी डाटा मुहैया कराता है। सबसे बड़ी बात इस सर्वे को परंपरागत तरीके से किया जाए तो इसमे 10 से 12 सप्ताह लग सकते हैं, लेकिन अगर यही सर्वे एरियल लीडार तकनीकी से किया जाता है तो यही काम 1 सप्ताह में हो जाता है।