रिजर्व बैंक गवर्नर ने उछाल मारते बाजारों में बढ़े मूल्यांकन को वित्तीय स्थिरता के लिये जोखिम बताया

मुंबई, 11 जनवरी (भाषा) रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने सोमवार को कहा कि तेजी से ऊपर चढ़ते बाजार और आर्थिक गतिविधियों के बीच कहीं तालमेल नहीं दिखता।उन्होंने चेताया कि वित्तीय संपत्तियों का जरूरत से ज्यादा मूल्यांकन वित्तीय स्थिरता के लिये जोखिम पैदा कर सकता है। दास ने छमाही वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (एफएसआर) की प्रस्तावना में कहा, ‘‘भारत और दुनिया भर में दोनों स्तरों पर हालिया समय में वित्तीय बाजारों के कुछ खंडों और वास्तविक अर्थव्यवस्था के बीच संबंध कम होता नजर आ रहा है।’’ उन्होंने सचेत किया, ‘‘वित्तीय परिसंपत्तियों का अधिक मूल्यांकन वित्तीय स्थिरता के लिये जोखिम पैदा करते हैं।’’ आरबीआई गवर्नर ने वित्तीय प्रणाली के आंतरिक संबंधों में कटाव को देखते हुए बैंकों और वित्तीय संस्थानों को इस जोखिम का संज्ञान लेने को कहा। कोरोना वायरस महामारी के बाद मार्च में भारतीय शेयर बाजारों में 40 प्रतिशत की बड़ी गिरावट आयी थी। हालांकि, उसके बाद से बाजार अब तक 80 प्रतिशत से अधिक चढ़ चुके हैं और यह तेजी लगातार जारी ही है। नये डीमैट खाते खुलने की रफ्तार भी रिकॉर्ड उच्च स्तर पर है। दास ने पहले भी आथिर्क गतिविधियों और वित्तीय बाजारों के बीच तालमेल घटने को लेकर टिप्पणियां की हैं, लेकिन उन्होंने पहली बार इसे वित्तीय स्थिरता के व्यापक पहलू से जोड़ा है। आरबीआई ने महामारी और उसके बाद लगाये गये लॉकडाउन के कारण चालू वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 7.5 प्रतिशत की तेज गिरावट आने का अनुमान लगाया है उसके बावजूद शेयर बाजारों में तेजी जारी है। कुछ विश्लेषकों का यह भी कहना है कि बाजार भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर अल्पकालिक नकारात्मक कारकों के बजाय दीर्घकालिक कारकों को तवज्जो दे रहा है। हालिया तेजी का यह भी एक कारण हो सकता है।

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