मुंबई, 11 जनवरी (भाषा) रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सोमवार को कहा कि महामारी के कारण बढ़ी सरकारी उधारी ने इसकी निरंतरता को लेकर चिंताएं बढ़ा दी है। रिजर्व बैंक ने कहा कि इससे निजी क्षेत्र के लिये संसाधनों की कमी हो जाने की आशंका है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि राजस्व में कमी के बीच अधिक उधारी ने बैंकों पर अतिरिक्त दबाव भी डाला है, जो महामारी की वजह से गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) में वृद्धि जैसी समस्याओं का सामना कर रहे हैं। रिजर्व बैंक ने छमाही वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (एफएसआर) में कहा, ‘‘सरकारी राजस्व पर प्रतिकूल प्रभाव और इसके चलते आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिये संप्रभु उधारी बढ़ रही है। यह अब ऐसे स्तर पर पहुंच गया है, जो इस बात की चिंता पैदा करने लगा है कि वित्तपोषण की मात्रा और लागत दोनों संदर्भों में निजी क्षेत्र इससे बाहर न हो जाये।’’ उल्लेखनीय है कि विशेषज्ञ पहले भी सरकारी कर्ज और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के बढ़ते अनुपात पर चिंता जता चुके हैं। रिजर्व बैंक ने रिपोर्ट में कहा कि एक अंतराल के बाद बैंकों की बैलेंस शीट पर दबाव दिखने लगेगा। उसने कहा कि कॉरपोरेट वित्त पोषण को नीतिगत उपायों और महामारी के चलते किस्तों के भुगतान से दी गयी छूट के माध्यम से सहारा दिया गया। रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘दबाव एक अंतराल के बाद दिखने लगेगा। इसका बैंकिंग क्षेत्र पर प्रतिकूल असर होगा, क्योंकि कॉरपोरेट व बैंकिंग क्षेत्र की समस्याएं आपस में जुड़ी हुई हैं।’’