तो सरकार का पलड़ा भारी? कृषि कानूनों के समर्थक हैं कमिटी में शामिल यह जानकार

नई दिल्‍ली मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानून के अमल पर रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस मामले में विवाद के समाधान के लिए एक चार सदस्‍यीय कमिटी बनाई है। इस कमिटी में भूपिंदर सिंह मान (अध्यक्ष बेकीयू), डॉ प्रमोद कुमार जोशी (अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान), अशोक गुलाटी (कृषि अर्थशास्त्री) और अनिल धनवट (शिवकेरी संगठन, महाराष्ट्र) होंगे।

भूपिंदर सिंह मान उन किसान नेताओं में से हैं जो मोदी सरकार के इन तीनों कृषि कानूनों का समर्थन करते रहे हैं जिनके विरोध में किसान केंद्र सरकार के खिलाफ लामबंद हो चुके हैं। पिछले महीने, यानि 14 दिसंबर को उन्‍होंने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को एक खत लिखकर कुछ मांगें सामने रखी थीं।

तीनों कानूनों का किया था समर्थन इस खत में उन्‍होंने लिखा था, ‘आज भारत की कृषि व्‍यवस्‍था को मुक्‍त करने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्‍व में जो तीन कानून पारित किए गए हैं हम उन कानूनों के पक्ष में सरकार का समर्थन करने के लिए आगे आए हैं। हम जानते हैं कि उत्‍तरी भारत के कुछ हिस्‍सों में एवं विशेषकर दिल्‍ली में जारी में शामिल कुछ तत्‍व इन कृषि कानूनों के बारे में किसानों में गलतफहमियां पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं।’

गलतफहमियां पैदा करने वालों का जिक्र इस लेटर में आगे लिखा है, ‘हमारे अथक प्रयासों व लंबे संघर्षों के परिणाम स्‍वरूप जो आजादी की सुबह किसानों के जीवन में क्षितिज पर दिखाई दे रही हे आज उसी सुबह को फिर से अंधेरी रात में बदल देने के लिए कुछ तत्‍व आगे आकर किसानों में गलतफहमियां पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं।… हम मीडिया से भी मिलकर इस बात को स्‍पष्‍ट करना चाहते हैं कि देश के अलग-अलग हिस्‍सों के किसान सरकार द्वारा पारित तीनों कानूनों के के पक्ष में हैं। हम पुरानी मंडी प्रणाली से क्षुब्‍ध व पीड़‍ित रहे हैं हम नहीं चाहते कि किसी भी सूरते हाल में शोषण की वही व्‍यवस्‍था किसानों पर लादी जाएं।’

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