नए कृषि कानूनों का बचाव करने भारत सरकार ने अपने दो सबसे प्रमुख वकीलों को मैदान में उतारा था। भारत के अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल, दोनों ही सुप्रीम कोर्ट के आगे दलीलें रख रहे थे। इसके बावजूद केंद्र सरकार को झटका लगा। अदालत ने नए कानूनों के अमल पर रोक लगा दी और एक समिति बनाकर विस्तृत चर्चा का आदेश सुनाया है। इस मामले में सरकार की साख दांव पर थी, ऐसे में उसने अपने शीर्ष कानूनी सलाहकारों को काम पर लगाया था। हालांकि अदालत के भीतर न तो अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल के तर्क चले और न ही सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के। आखिर इन दोनों अधिकारियों का काम क्या है, इनकी नियुक्ति कैसे होती है और कौन तय कर करता है कि ये कौन सा केस लड़ेंगे? आइए इन सबके जवाब जानने की कोशिश करते हैं।
Difference between Attorney General of India and Solicitor General of India: अटॉर्नी जनरल भारत सरकार के प्रमुख कानूनी सलाहकार होते हैं, जबकि उनकी मदद के लिए सॉलिसिटर जनरल होते हैं।
नए कृषि कानूनों का बचाव करने भारत सरकार ने अपने दो सबसे प्रमुख वकीलों को मैदान में उतारा था। भारत के अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल, दोनों ही सुप्रीम कोर्ट के आगे दलीलें रख रहे थे। इसके बावजूद केंद्र सरकार को झटका लगा। अदालत ने नए कानूनों के अमल पर रोक लगा दी और एक समिति बनाकर विस्तृत चर्चा का आदेश सुनाया है। इस मामले में सरकार की साख दांव पर थी, ऐसे में उसने अपने शीर्ष कानूनी सलाहकारों को काम पर लगाया था। हालांकि अदालत के भीतर न तो अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल के तर्क चले और न ही सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के। आखिर इन दोनों अधिकारियों का काम क्या है, इनकी नियुक्ति कैसे होती है और कौन तय कर करता है कि ये कौन सा केस लड़ेंगे? आइए इन सबके जवाब जानने की कोशिश करते हैं।
भारत के अटॉर्नी जनरल कौन होते हैं?
भारत सरकार के प्रमुख कानूनी सलाहकार के रूप में अटॉर्नी जनरल ऑफ इंडिया (AG) की नियुक्ति होती है। केंद्रीय कैबिनेट की सलाह पर राष्ट्रपति इनकी नियुक्ति करते हैं। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 76(1) में अटॉर्नी जनरल का जिक्र है। अटॉर्नी जनरल का कार्यकाल तीन साल का होता है। केके वेणुगोपाल भारत के 15वें अटॉर्नी जनरल हैं, उन्हें पिछले साल एक्सटेंशन दिया गया था।
क्या योग्यता चाहिए?
भारत का अटॉर्नी जनरल बनने के लिए वही योग्यताएं चाहिए तो सुप्रीम कोर्ट का जज बनने के लिए जरूरी होती हैं। यानी वे किसी हाई कोर्ट में पांच साल तक जज रहे हों या 10 साल तक वकालत की हो या राष्ट्रपति की नजर में दिग्गज न्यायवादी हों। भारत का अटॉर्नी जनरल बनने के लिए भारतीय नागरिक होना अनिवार्य है।
क्या है अटॉर्नी जनरल का काम?
मुख्य रूप से अटॉर्नी जनरल भारत सरकार को कानूनी मसलों पर सलाह देते हैं। मगर इसके लिए उस मामले का बेहद अहम होना जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट में भारत सरकार से जुड़े सभी मसलों में अटॉर्नी जनरल ही सरकार का पक्ष रखते हैं। वह राष्ट्रपति से मिले अन्य न्यायिक काम भी पूरे करते हैं। अटॉर्नी जनरल को मिला एक प्रमुख अधिकार यह है कि वे संसद की कार्यवाही में हिस्सा ले सकते हैं, हालांकि वोटिंग का अधिकार उन्हें नहीं है। इसके अलावा वह भारत की किसी भी अदालत के सामने पेश हो सकते हैं, मगर सरकार के खिलाफ नहीं।
भारत के सॉलिसिटर जनरल कौन होते हैं?
सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया (SG) दरअसल अटॉर्नी जनरल के मातहत आते हैं। यानी एक तरह से वह देश के दूसरे सबसे बड़े कानूनी अधिकारी होते हैं। वह न्यायिक मामलों में अटॉर्नी जनरल की मदद करते हैं। सॉलिसिटर जनरल की मदद के लिए चार ऐडिशनल सॉलिसिटर जनरल भी होते हैं। वर्तमान में तुषार मेहता भारत के सॉलिसिटर जनरल हैं। वेणुगोपाल की तरह उन्हें भी पिछले साल एक्सटेंशन दिया गया था।
क्या योग्यता चाहिए?
सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया की नियुक्ति भी राष्ट्रपति ही करते हैं। योग्यता का पैमाना वही जो अटॉर्नी जनरल के लिए होता है।
क्या है सॉलिसिटर जनरल का काम?
सॉलिसिटर जनरल सुप्रीम कोर्ट या किसी भी हाई कोर्ट में भारत सरकार की तरफ से पेश हो सकते हैं। अगर राष्ट्रपति की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में कोई संदर्भ उठता है तो संविधान के अनुच्छेद 143 के तहत अटॉर्नी और सॉलिसिटर जनरल, दोनों में से कोई भी सरकार का प्रतिनिधित्व कर सकता है।
दोनों में फर्क क्या है?
काम के लिहाज से देखें तो अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल में कोई अंतर नहीं है। हां, अटॉर्नी जनरल का पद संवैधानिक है मगर सॉलिसिटर जनरल और ऐडिशनल सॉलिसिटर जनरल के पद महज वैधानिक। अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल दोनों की निजी प्रैक्टिस पर रोक होती है। इसके अलावा वह सरकार या सरकारी उपक्रमों के खिलाफ किसी को सलाह भी नहीं दे सकते। दोनों अधिकारियों की फीस प्रति दिन और प्रति केस के हिसाब से निर्धारित है।