सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों पर रोक लगाते हुए चार सदस्यीय कमिटी गठित की है। यह कमिटी आंदोलनरत किसानों से कृषि कानूनों को लेकर बात करेगी और उनकी शिकायतें सुनेगी। कोर्ट ने कमिटी को दो महीने के अंदर रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है। इस कमिटी में किसान नेता अनिल घनवट भी शामिल हैं। अनिल घनवट ने कहा कि प्रदर्शनकारी किसानों को न्याय मिलेगा।
शेतकारी संगठन के अध्यक्ष अनिल घनवट ने कहा, ‘यह आंदोलन रुकना चाहिए और कानून किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए बनना चाहिए। पहले हमें किसानों को सुनने की जरूरत है कि कहीं उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और एग्रीकल्चरल प्रोड्यूस मार्केट कमिटी (एपीएमसी) को लेकर कोई गलतफहमी तो नहीं है। हम उसे स्पष्ट करेंगे। उन्हें इस बात का आश्वासन देना जरूरी है कि जो भी हो रहा है उनके हित में हो रहा है।’
‘किसानों को अपनी फसल बेचने की आजादी चाहिए’
अनिल ने कहा, ‘कई किसान नेता और यूनियन एपीएमसी के एकाधिकार से आजादी चाहते हैं, इसे खत्म होना चाहिए और किसानों को अपनी फसल बेचने की आजादी मिलनी चाहिए। इसकी मांग पिछले 40 साल से की जा रही है। जो किसान एमएसपी चाहते हैं और जिन्हें इससे आजादी चाहिए, दोनों के ही पास एक विकल्प होना चाहिए।’
आंदोलनरत किसानों को कमिटी मंजूर नहीं
उधर प्रदर्शनकारी किसानों ने स्पष्ट कर दिया है कि उन्हें कोर्ट के कमिटी गठित करने का फैसला मंजूर नहीं है। किसान नेताओं के मुताबिक, केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के जरिए कमिटी ला रही है। उन्होंने दावा किया कि कमिटी के सभी सदस्य सरकार समर्थक हैं और कानूनों को उचित ठहरा चुके हैं।
‘देश के सभी किसानों के मुद्दे सुलझाएंगे’
अनिल घनवट कहते हैं कि किसानों के मन की यह धारणा बिल्कुल गलत है। वह कहते हैं, ‘यह पूरी तरह से गलत है। अशोक गुलाटी नेता नहीं है और न ही किसी ग्रुप का हिस्सा हैं। वह कृषि अर्थशास्त्री हैं। मैं इस पर तटस्थ रहा हूं। मैंने किसी राजनीतिक दल के लिए काम नहीं किया बल्कि सिर्फ किसानों के पक्ष की बात की और जो कुछ भी आने वाले दिन में होगा, हम देश के सभी किसानों के मुद्दों को सुलझाने में अपनी सर्वश्रेष्ठ कोशिश करेंगे।’