पुलिस ने बताया तीनों क्लाउड-9 सोसायटी में कॉलसेंटर चला रहे थे। इसमें 13 लोग कॉलर के रूप में काम कर रहे थे। यह ठग कंपनी अलग-अलग लोगों के माध्यम ये लोगों का डेटा लेती थी। प्राथमिक जांच में सामने आया है कि ये लोग 1500 से ज्यादा लोगों से ठगी कर चुके हैं। पुलिस ने इनके पास से 20 मोबाइल, 225 रेज्यूम, 10 ट्रेनिंग लेटर समेत अन्य सामान बरामद किया है।
पुलिस के अनुसार, गैंग लीडर प्रियंका और निखिल दोनों काफी पढ़े लिखे हैं। प्रियंका एलएलबी तो निखिल एमबीए पास है। पूछताछ में सामने आया है कि निखिल को एमबीए करने के बाद जॉब में दिक्कत हो रही थी। इस दौरान उसने एक प्लेसमेंट कंपनी को जॉइन किया। वहां छोटे-छोटे टाइअप से लोगों की जॉब लगवाने की फीस मिलती थी। इसके बाद 2017 में इन्होंने खुद की एजेंसी शुरू की और जॉब पोर्टल क्विकर से टाइअप कर शुरुआत में कुछ लोगों की जॉब भी लगवाई। इस दौरान उन्होंने देखा कि जिन लोगों की जॉब नहीं लगती उनके रुपये अगर नहीं लौटाए जाते तो भी वे लोग कुछ नहीं करते हैं। इसके बाद उन्होंने लोगों से ठगी करना शुरू कर दिया।
1 क्लाइंट से 10 हजार रुपये से ज्यादा नहीं लेते थेपुलिस ने बताया कि आरोपित ज्यादा रुपये नहीं लेते थे। ये लोग एक क्लाइंट से पूरे इंडिया में जॉब लगवाने के नाम पर पहले 3000 हजार रुपये प्रॉसेसिंग फीस के रूप में लेते थे। इसके बाद फर्जी ट्रेनिंग लेटर जारी कर 6 हजार रुपये और मांगते थे। निखिल ने पूछताछ में बताया कि 10 हजार रुपये तक की ठगी के मामले में कई बार लोगों की सुनवाई नहीं होती तो कुछ शिकायत करने भी नहीं जाते हैं। इस कारण उनका कॉलसेंटर लंबे समय से चल रहा था।
देशभर में फैला था जालआरोपितों ने बताया कि उनके कॉल सेंटर से देश के किसी भी हिस्से में कॉल की जाती थी। वह दिल्ली-एनसीआर के साथ राजस्थान, छतीसगढ़, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड के बेरोजगार लोगों को भी कॉल कर ठगते थे।
2 लाख रुपये महीने से ज्यादा ऑफिस खर्चसाइबर सेल प्रभारी सुमित ने बताया कि जिस जगह पर कॉलसेंटर चल रहा था, उसका महीने का किराया करीब 30 हजार रुपये है। इसके अलावा यहां जॉब करने वाले को 10 हजार रुपये प्रति महीना की सैलरी मिल रही थी। गैंग हर महीने ऑफिस पर 2 लाख रुपये तक खर्च कर रहा था। इसके अलावा ये लोग ठगी के पैसे मंगाने के लिए बैंक अकाउंट भी किराये पर लेते थे। किराये के अकाउंट के लिए भी महीने के 20-30 हजार रुपये दिए जाते थे। पुलिस किराये पर अकाउंट देने वालों का भी पता कर रही है।