साल 2020 अपने साथ ऐसी कई दर्दनाक घटनाएं लेकर आया जिनकी कड़वी यादें लंबे समय तक दुनिया के साथ रहने वाली हैं। साल की सबसे बड़ी प्राकृतिक आपदाओं में से एक रही दुनिया के अलग-अलग कोनों को अपनी चपेट में लेने वाली आग। इसके नतीजे भी अब दिख रहे हैं। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA ने दावा किया है कि साल 2020 इतिहास का सबसे अधिक गर्म साल रहा है। हालांकि, अमेरिका के NOAA (नैशनल ओशैनिक ऐंड अटमॉस्फीयर ऐडमिनिस्ट्रेशन) के मुताबिक साल 2016 इससे 0.02 डिग्री ज्यादा गर्म था। बावजूद इसके समझा जा सकता है कि 2020 में आखिर कितनी गर्मी पड़ी थी।
Warmest Year 2020: साल 2020 धरती के इतिहास का सबसे गर्म साल रहा। NASA ने यह दावा किया है। इस साल कई जंगलों में भीषण आग लगी और ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन बढ़ने से ऐसे नतीजे देखने को मिले।
साल 2020 अपने साथ ऐसी कई दर्दनाक घटनाएं लेकर आया जिनकी कड़वी यादें लंबे समय तक दुनिया के साथ रहने वाली हैं। साल की सबसे बड़ी प्राकृतिक आपदाओं में से एक रही दुनिया के अलग-अलग कोनों को अपनी चपेट में लेने वाली आग। इसके नतीजे भी अब दिख रहे हैं। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA ने दावा किया है कि साल 2020 इतिहास का सबसे अधिक गर्म साल रहा है। हालांकि, अमेरिका के NOAA (नैशनल ओशैनिक ऐंड अटमॉस्फीयर ऐडमिनिस्ट्रेशन) के मुताबिक साल 2016 इससे 0.02 डिग्री ज्यादा गर्म था। बावजूद इसके समझा जा सकता है कि 2020 में आखिर कितनी गर्मी पड़ी थी।
चक्रवात के बीच जलते रहे जंगल
NOAA और ब्रिटेन के मेट ऑफिस के मुताबिक 2020 साल 2016 से 0.02 डिग्री के अंतर से पिछड़ गया लेकिन NASA के अलावा यूरोपियन यूनियन के कॉपरनिकस के वैज्ञानिकों का भी मानना है कि 2020 अब तक का सबसे गर्म साल रहा। इसकी कई सारी वजहें भी रही हैं, जिनमें से एक है ऑस्ट्रेलिया, साइबेरिया और अमेरिकी वेस्ट कोस्ट के जंगलों में लगी भीषण आग और भीषण चक्रवाती अटलांटिक तूफान के दौरान इस आग के जलने का समय भी काफी लंबा रहा।
कौन है जिम्मेदार?
अमेरिका में NASA के गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर में एक शोध मौसम विज्ञानी लेस्ली ओट ने कहा, ‘अब तक हमने जलवायु परिवर्तन के जिन गंभीर प्रभावों की भविष्यवाणी की है, यह साल उसी का एक उदाहरण रहा है।’ हालांकि, इसके लिए सिर्फ जंगलों में लगी आग को ही दोषी ठहराया जाना उचित नहीं है बल्कि मानव निर्मित ग्रीनहाउस गैस का उत्सर्जन भी धरती को गर्म करने के लिए काफी हद तक जिम्मेदार है।
इंसानी करतूत का नतीजा
न्यूयॉर्क सिटी में NASA के गोडार्ड इंस्टिट्यूट फॉर स्पेस स्टडीज (जीआईएसएस) के निदेशक और जलवायु वैज्ञानिक गेविन श्मिट ने कहा, ‘धरती की सामान्य प्रक्रियाएं यही है कि इंसानी गतिविधियों द्वारा उत्सर्जित कार्बन-डाई-ऑक्साइड का शोषण कर लिया जाए, लेकिन हम जिस अधिक मात्रा में पर्यावरण में कार्बन डाई ऑक्साइड को छोड़ रहे हैं, उस पर काबू पाना अब पेड़-पौधों और समंदर के वश में नहीं हो पा रहा है।’
ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन बढ़ा
NASA के मुताबिक, आज से करीब 250 साल पहले हुई औद्योगिक क्रांति के बाद से कार्बनडाईऑक्साइड का स्तर करीब-करीब 50 फीसदी तक बढ़ गया है। वातावरण में मीथेन की मात्रा दोगुनी से अधिक हो गई है। नतीजतन इस दौरान धरती एक डिग्री सेल्सियस और ज्यादा गर्म हो गई है। जलवायु विशेषज्ञों ने अनुमान लगाया है कि चूंकि धरती गर्म हो रही है, ऐसे में गर्म हवा के थपेड़ों और सूखे में और इजाफा हो सकता है, जंगलों में आग लगने की संख्याओं में भी बढ़ोत्तरी हो सकती है, साल में औसत से अधिक गंभीर तूफानों के आने की आशंका भी बनी हुई है।