शताब्दी ने कहा, ‘लोग मुझसे पूछते हैं कि मैं बीरभूम में होने वाले पार्टी के कार्यक्रमों में क्यों नहीं दिखाई देती। मैं कैसे शामिल होऊं जब मुझे उनका शेड्यूल ही पता नहीं रहता? मुझे लगता है कि कुछ लोग नहीं चाहते कि मैं वहां रहूं।’
ममता देती हैं अहमियत टीएमसी सूत्रों का कहना है कि साल 2019 के लोकसभा चुनावों के बाद बीरभूम सांसद शायद ही जिले में आयोजित पार्टी के किसी कार्यक्रम में दिखाई दी हैं। लोगों ने आखिरी बार उन्हें 28 दिसंबर को सीएम ममता बनर्जी की बीरभूम में आयोजित रैली में देखा था। इस रैली में हालांकि ममता बनर्जी ने उन्हें पर्याप्त महत्व दिया था और कई बार रैली में उनका नाम लिया था।
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यह है नाराजगी की वजह लेकिन पार्टी सूत्रों का कहना है कि जब से शताब्दी रॉय ने सांसद विकास निधि का पैसा जनता में बांटा है स्थानीय नेता उनसे नाराज हैं। नाराजगी की वजह यह है कि ऐसा करते समय उन्होंने विकास कार्यों का चुनाव करते समय पार्टी की राय नहीं ली।
2009 से हैं बीरभूम की सांसद शताब्दी राय ने साल 2009 में टीएमसी के टिकट पर बीरभूम से लोकसभा चुनाव लड़ा और विजयी हुईं। बाद में वह 2014 और 2019 में भी यहीं से चुनाव जीतीं। इसके अलावा वह बंगाली सिनेमा की जानीमानी अभिनेत्री और निर्देशक भी हैं। उन्हें दो बार बीजेएफए सम्मान मिल चुका है।