केंद्रीय वित्त मंत्री (Union Finance Minister) निर्मला सीतारण (Nirmala Sitharaman) इन दिनों यूनियन 2021 ( 2021) को बनाने में जुटी हुई हैं। इस समय समाज का हर वर्ग बजट से कुछ न कुछ आश लगाए हुए है। इसी क्रम में आज हम बात कर रहे हैं, हेल्थकेयर सेक्टर की। इस विषय पर हमने बात की है दिल्ली सरकार के प्रिंसिपल सेक्रेटरी हेल्थ एंड फेमिली वेलफेयर रहे डी. एस. नेगी से।
स्वास्थ्य के लिए बजट में ज्यादा प्रावधान करने की जरूरत
भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के सेवानिवृत्त अधिकारी तथा इस समय राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च सेंटर (RGCIRC) के सीईओ डी. एस. नेगी का कहना है कि मौजूदा कोरोना महामारी को देखते हुए वर्ष 2021 के बजट से अपेक्षा बढ़ जाती है। जाहिर है कि उनकी अपेक्षा हेल्थकेयर सेक्टर में खर्च के लिए ज्यादा आवंटन से जुड़ी हैं। उनके मुताबिक सबको बेहतर स्वास्थ्य सेवा देने की दिशा में आयुष्मान भारत नि:संदेह बहुत सकारात्मक कदम है। लेकिन, इसे सफल बनाए रखने के लिए बजट में और ज्यादा प्रावधान करने की जरूरत होगी।
युवा देश होने के बावजूद बीमारी का दवाब ज्यादा
दिल्ली सरकार में प्रिंसिपल सेक्रेटरी (हेल्थ एंड फेमिली वेलफेयर) रहे नेगी का कहना है कि भारत में 60 फीसदी से ज्यादा आबादी 35 साल से कम उम्र के लोगों की है। इस लिहाज से हम सबसे युवा (Youth) देश हैं। बावजूद इसके, बीमारियों का दबाव भी हम पर ज्यादा है। विशेष तौर पर लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियां (Life style disease) तेजी से बढ़ रही हैं। उन्होंने उम्मीद जतायी है कि सरकार प्रिवेंटिव हेल्थ एवं वेलनेस सेक्टर (Preventive health and wellness sector) के लिए बजट में अतिरिक्त व्यवस्था करेगी।
प्रिंवेंटिव हेल्थ चेकअप हो तो बीमारी का पता शुरूआत में ही
नेगी के मुताबिक यदि सभी का प्रिवेंटिव हेल्थ चेकअप (Preventive Health Checkup) हो तो किसी भी गंभीर बीमारी क पता शुरुआती स्टेज में चल जाएगा। यदि शुरूआत में ही बीमारी का पता चल जाए तो अति गंभीर बीमारी, कैंसर के 60 फीसदी मामलों का इलाज संभव है। इससे इस बीमारी के कारण पड़ने वाला खर्च कम किया जा सकता है। प्रिवेंटिव ओंकोलॉजी के लिए विशेष यूनिट बनाकर कई कैंसर अस्पलता इस समय सक्रियता से काम कर रहे हैं।
टैक्स छूट का प्रोत्साहन हो तो बेहतर स्वास्थ्य सेवा मिलेगी
उनका कहना है कि भारत में आबादी के हिसाब से अस्पतालों में बेड की बहुत कमी है। इसलिए, निजी क्षेत्र को चिकित्सा सुविधाएं आधुनिक करने के लिए टैक्स छूट जैसे कदमों से बेहतर स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित हो सकेगी। इससे ज्यादा निवेश भी आएगा और ज्यादा रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे।