रायपुर। कोविड संक्रमण के प्रभाव में लम्बे अरसे सूने पडे डाईट रायपुर के भीतरी प्रांगण में शासकीय अवकाश के बाद भी गूंजते गीत, खेल-खेल में शिक्षा देने के रोचक तरीकों से जुडी विविध आवाजों ने न केवल सन्नाटे को तोडा अपितु इस रचनात्मक हलचल ने बरबस ही लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा।
डाईट रायपुर में यह अवसर था कोविड प्रोटोकाल का पालन करते हुए पढना- लिखना अभियान के तहत स्वयंसेवी शिक्षकों के प्रशिक्षण के दौरान उनके उत्साह की अभिव्यक्ति का। राज्य साक्षरता मिशन प्राधिकरण के मार्गदर्शन में जिला साक्षरता प्राधिकरण द्वारा आयोजित दो दिवसीय प्रशिक्षण के समापन अवसर पर पढ़ना लिखना अभियान के राज्य नोडल अधिकारी व राज्य साक्षरता मिशन प्राधिकरण के असिस्टेंट डायरेक्टर प्रशांत पान्डेय ने स्वयंसेवी शिक्षकों को प्रेरणा गीत ‘बेटी हूं मैं बेटी मैं तारा बनुंगी, पढे ला जाबो, पढे ला जाबो, पढे़ ला जागो रे संगी चल पढ़े ल जाबो रे’ को गवाकर, नारे लगा कर इस बात का व्यावहारिक जानकारी दी कि वे कैसे इस अभियान के लिए सकारात्मक वातावरण तैयार किया जा सकता है। इसके साथ-साथ उन्होंने अभियान की प्रशासनिक संरचना की जानकारी देते हुए बताया की कोई भी स्वयंसेवी शिक्षक अकेला नही है। राज्य स्तर ,जिले स्तर, विकासखंड स्तर से लेकर वार्ड व ग्राम स्तर पर प्रशासन की टीम उनके साथ है। जिला परियोजना अधिकारी डॉ कामिनी बावनकर ने असाक्षरों को कैसे बगैर किसी खर्च के रेत पर लिखकर पुराने कैलेन्डर या मैग्जीन को कटिंग करके पढ़ाने की सहायक सामग्री बनाई जा सकती है इसका प्रयोग कर समझाया।