बाजार खुलने पर सड़कों व बाजारों में डिस्टेंसिंग मेंटेन करना होगी बड़ी चुनौती

रायपुर। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने प्रदेश में बड़ा प्रभाव डाला। लॉकडाउन व शासन के प्रयासों से संक्रमण व मृत्यु दर कम हुई है। प्रदेश में संक्रमण रोकथाम के लिए लगाए गए लॉकडाउन को कुछ रियायत के साथ 31 मई तक बढ़ा दिया गया है। प्रशासन संक्रमण की रोकथाम के लिए मुस्तैद व सख्त है।

संक्रमण का ग्राफ गिरते ही व्यापारी संगठन व लोग व्यवसायिक गतिविधियों को शुरू करने की चर्चा कर रहे हैं। लॉकडाउन लगे एक महीने से अधिक हो गया है और लगभग सभी की आर्थिक स्थिति डगमगा गई है। विशेषज्ञों ने लंबे समय तक इस महामारी चलने का अनुमान लगाया है, ऐसे में आखिर कब तक व्यवसाय बंद रखा जाए। यह प्रश्न सरकार और व्यापारी दोनों के सामने खड़ा है। लेकिन भीड़ न होने देना ही संक्रमण रोकने का एक ही कारगर उपाय है। प्रशासन व लोगों के लिए बड़ी कठिन स्थिति बन गई है। यदि बाजार खुलते हैं तो खासकर रायपुर की सड़कों व बाजारों में भीड़ पर काबू पाना एक बड़ी चुनौती होगी।

विशेषज्ञ व निवासी बाजार में संक्रमण को लेकर चिंतित


रायपुर शहर का अधिकतर पुराना इलाका बाजार बन चुका है। एमजी रोड, पंडरी, बंजारी रोड, नयापारा, लाखे नगर, बैजनाथपारा, स्टेशन रोड, रामसागरपारा, के.के. रोड मौदहापारा, मालवीय रोड की गलियों तक में दुकानें व गोदाम है। इन इलाकों के लोगों को संक्रमण का डर सता रहा है। फिलहाल लॉकडाउन से यहां भीड़भाड़ नहीं है। यहां सड़कें हमेशा जाम रहती है।

सड़क जाम एक बड़ा मुद्दा


रायपुर शहर में सड़कों पर लगने वाला जाम एक बड़ा मुद्दा है। यह कोरोना संक्रमण की स्थिति में अधिक खतरनाक है। पुलिस प्रशासन केवल मुख्य सड़कों पर अवैध पार्किंग की कार्यवाही करता है। छोटी सड़कों व बाजारों में बेतरतीब तरीके से वाहन पार्किंग होती है। साथ ही नो एंट्री के बाद भी मालवाहक वाहन दिनभर धडल्ले से आते हैं और बीच सड़क पर सामान खाली करते हैं। यह सड़क जाम होने का सबसे बड़ा कारण है। पूर्व सरकार ने बाजारों के व्यस्थापन का प्रयोग किया था। लेकिन आज डूमरतराई में भी भीड़भाड़ व अव्यवस्था की खबरें रहती है। व्यवस्थापन समस्या का हर नहीं है। शहर बढ़ेगा तो बाजार भी बढ़ेगा, इसलिए जिम्मेदारी तय होनी चाहिए।

सार्वजनिक परिवहन साधनों का प्रचलन बढ़ाना होगा


शहर में अधिकतर लोग खुद के वाहन का उपयोग करते हैं। देखा जाए एक दुकान में संचालक व कर्मचारियों को मिलाकर 4-6 वाहन हो जाते हैं। सभी सुबह आकर शाम-रात तक घर जाते हैं और गाड़ियां दिनभर दुकान के सामने खड़ी रहती है। जगह न होने पर ग्राहक सड़कों पर पार्किंग कर देते हैं। ऐसे लोग यदि जनहित व वर्तमान परिस्थितियों के अनुसार सार्वजनिक परिवहन साधनों व कम गाड़ियों का उपयोग करे तो बेहतर होगा। अमूूूमन सुुुबह और शाम को सड़कों पर भीड़ होती है।

महानगरों की तर्ज पर ट्रैफिक के नए प्रयोग


राजधानी में नो पार्किंग जोन, वन वे जैसे प्रयोग करने व सख्ती से लागू करने की जरूरत है। इससे ट्रैफिक जाम व भीड़ पर काबू पाया जा सकता है। शहर में बड़ी संख्या में सार्वजनिक पार्किंग है, लेकिन कम लोग इनका इस्तेमाल करते हैं। सड़कों पर बिना रोकटोक बेतरतीब तरीके से पार्किंग होती है। बाजाारों व व्यवासायिक परिसरों में निजी गार्ड व कर्मी लगाकर पार्किंग व्यवस्था सुधारी जा सकती है।

व्यापारियों व जनता का सहयोग जरूरी है

इस महामारी के संक्रमण की चैन तोड़ने के लिए व्यापारियों व जनता का सहयोग जरूरी है। व्यापारी दुकान व बाजार में व्यवस्था बनाए रखें। सड़कों पर सामान व वाहन न खड़ा कर ट्रैफिक जाम न करें और सुरक्षा निर्देशों के अनुसार व्यापार करें। जनता व्यवस्था बनाने में व्यापारियों और प्रशासन का सहयोग करे। अपनी और दुसरों की सुरक्षा का ध्यान रखकर खरीदी करे। जनसहयोग व जनजागरूकता के बिना कुछ भी संभव नहीं है। हम सभी अपेक्षा प्रशासन से करते हैं, लेकिन अपने फर्ज से हट जाते हैं।

प्रशासनिक सख्ती की जरुरत


प्रशासन बाजारों में अव्यवस्था फैलाने वाले व्यापारियों पर सख्ती करे। सरकारी अमला मुख्य मार्गों के साथ अंदरूनी इलाकों की सतत निगरानी व कार्यवाही करे। केवल मास्क न पहनने वालों पर कार्यवाही की जाती है लेकिन सड़कों पर पार्किंग, सड़कों पर सामान रखने वालों पर सख्ती और मालवाहकों के प्रवेश का समय निर्धारण व विशेषज्ञों की सलाह अनुसार नए प्रयोग की जरूरत है।

सरकार, व्यापारी और सभी नागरिक चाहते हैं बाजार खोला जाए। लॉकडाउन में सभी को आर्थिक संकट हुआ है और व्यवसायिक गतिविधियों की शुरुआत से ही इसका समाधान होगा। कोरोना संक्रमण की रोकथाम भी जरूरी है, इसलिए लोगों की मनमानी और असहयोग के कारण सरकार बाजार खोलने के नाम पर चिंतित हो जाती है। हमें मिलजुलकर जागरूकता व सुरक्षा के साथ महामारी से लड़ना है। अपनी समझदारी व आपसी सहयोग से हम निश्चित ही यह जंग जीतेंगे। सरकार आम जनता व व्यापारियों के दर्द को समझती है। लेकिन हमारी लापरवाही व गैरजिम्मेदाराना रवैये के कारण जोखिम नहीं उठाना चाहती है।

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