तुलसी डहरिया और धनेश्वर कुरै भारतीय संविधान की प्रस्तावना पढ़कर हुए एक-दूसरे के, कायम की एक नई मिसाल

मुंगेली . शादियों में धूमधाम और शहनाईयां तो आपने सुना ही होगा, देखा होगा लेकिन अगर शादी बिना किसी तामझाम के हो तो कुछ अटपटा सा लगता है क्योंकि समाज में जिस शादी में जितना खर्च होता है वह शादी उतना महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसे ही सामाजिक चुनौतियों के इतर कुमारी तुलसी डहरिया गोड़खामि मुंगेली और धनेश्वर कुरै ने एक दुसरे का हाथ संविधान की प्रस्तावना को पढ़कर थामी. यह महत्वपूर्ण शादी ग्राम गोड़खामि विकासखंड लोरमी जिला मुंगेली में संपन्न हुई. दोनों सामाजिक विधि विधान से शादी के पश्चात संविधान की शपथ ली.और दरअसल ऐसे शादियों की समाज को ज्यादा बढ़ावा देना चाहिए ताकि सामाजिक जाग्रति के अलावा अपने देश प्रेम की भावना जाग सके क्योंकि संविधान किसी देश की आत्मा होती है. इस शादी में सविधान की किताबे एवं पौधे अर्पित बड़ी बहन फुलमनी डहरिया जी ने कर शादी को यादगार बनाया गया. इस शादी को समाज के लोग एक क्रांतिकारी शादी की दर्जा दे रहे हैं. इस सम्पूर्ण कार्यक्रम की रुपरेखा से वर वधु बहुत उत्साहित हुए के द्वारा की गई थी.
इस प्रकार की नेक कार्य के लिए नंदिनी, कान्ति,हेमा ,कमलेश , नीलम ,लष्मी, बेबी , अमित, टिकू साहिल ,जतिन युवराज ,समस्त डहरिया परिवार एवं परमेश्वर रात्रे ने भूरी भूरी प्रशंसा की वर पिता मेलुराम कुरै ने इसे मिल का पत्थर बताया !!

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