आंदोलन अभी समाप्त नहीं होगा, अगला फैसला 27 नवंबर को: राकेश टिकैत


गाजियाबाद/नयी दिल्ली. भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने बुधवार को कहा कि कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहा किसानों का आंदोलन अभी समाप्त नहीं होगा और आगे की रूपरेखा 27 नवंबर को तय की जाएगी. भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा कि किसानों की आय दोगुनी करने के केंद्र सरकार के दावों को लेकर भी प्रदर्शनकारी उससे सवाल करेंगे.

टिकैत ने ट्वीट किया, ‘‘ये आंदोलन अभी ख़त्म नहीं होगा. 27 नवंबर को हमारी बैठक है जिसके बाद हम आगे के निर्णय लेंगे. (प्रधानमंत्री नरेंद्र) मोदी जी ने कहा है कि एक जनवरी से किसानों की आमदनी दोगुनी हो जाएगी तो हम पूछेंगे कि कैसे दोगुनी होगी. किसानों की जीत तब होगी जब उन्हें अपनी फसलों के उचित दाम मिलेंगे.’’

केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ सैकड़ों किसान पिछले साल 26 नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले सप्ताह घोषणा की थी कि उनकी सरकार तीनों विवादास्पद कानूनों को वापस लेगी. वहीं, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने संबंधी विधेयक को बुधवार को मंजूरी दी . सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने यह जानकारी दी. संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने से संबंधित विधेयक पेश किये जाने के लिये सूचीबद्ध है.

कृषि कानूनों को वापस लेने की कैबिनेट मंजूरी ‘ औपचारिकता’, अन्य मांगों का सरकार करे समाधान : किसान
किसान नेताओं ने मंत्रिमंडल द्वारा तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए पेश किए जाने वाले विधेयक को बुधवार को दी गई मंजूरी को ‘ औपचारिकता’ करार देते हुए अन्य मांगों, विशेषकर कृषि उपजों के ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य’ (एमएसपी) की कानूनी गारंटी को पूरा करने की मांग की.

हालांकि, किसान नेताओं ने इस कदम का स्वागत करते हुए इसे प्रदर्शनकारी किसानों के लिए महज पहली जीत करार दिया और कहा कि वे अपना प्रदर्शन जारी रखेंगे. उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा करने के कुछ दिनों के बाद कृषि कानून वापसी विधेयक-2021 को मंजूरी दी गई है और अब इसे 29 नवंबर को शुरू हो रहे संसद सत्र के दौरान लोकसभा में पारित करने के लिए पेश किया जाएगा.

राष्ट्रीय किसान महासंघ (आरकेएम) के शिवकुमार ‘कक्का’ ने पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘आज मंत्रिमंडल ने तीनों कृषि कानूनों की वापसी के लिए विधेयक को मंजूरी दी जिसकी घोषणा पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर दी थी और यह महज औपचारिकता है. यह महज प्रक्रिया है. अब हम चाहते हैं कि सरकार हमारी अन्य मांगों पर भी विचार करे.’’

उन्होंने कहा, ‘‘ आदर्श तो यह है कि कानूनों को वापस लेने का फैसला लेने के बाद, उन्हें हमारे साथ अगले दौर की वार्ता करनी चाहिए जिसमें हम एमएसपी के मुद्दे पर भी चर्चा करेंगे. इस तरीके से सरकार दोनों विधेयकों- कृषि कानूनों की वापसी और एमएसपी को कानूनी मान्यता देना- पर आगे बढ़ सकती है.’’

मौजूदा समय में प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों के साझा मंच ‘संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने रविवार को प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर एमएसपी पर कृषि उपज की खरीद की कानूनी गांरटी सहित किसानों की छह मांगों पर वार्ता बहाल करने की मांग की. इन मांगों में लखीमपुर खीरी मामलों के संबंध में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा को पद से हटाने और उन्हें गिरफ्तारी करने, किसानों के खिलाफ दर्ज मुकदमों को वापस लेने और प्रदर्शन के दौरान मारे गए किसानों की याद में स्मारक बनाने की मांग शामिल है.

भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) नेता राकेश टिकैत ने ट्वीट किया, ‘‘यह प्रदर्शन अब तक समाप्त नहीं हुआ है. 27 नवंबर को हमारी बैठक होगी जिसमें हम आगे का फैसला लेंगे. (प्रधानमंत्री नरेंद्र) मोदी जी ने कहा था कि एक जनवरी से किसानों की आय दोगुनी हो जाएगी, इसलिए हम पूछना चाहते हैं कि यह कैसे होगा. किसानों की जीत तब सुनिश्चित होगी जब उन्हें उनके उत्पाद का सही दाम मिलेगा.’’

अन्य किसान नेता कविता कुरुगांटी ने कहा, ‘‘मंत्रिमंडल की मंजूरी तार्किक कदम है. इसका कोई महत्व नहीं है क्योंकि इसकी घोषणा 19 नवंबर को पहले ही हो चुकी है.इन विधेयकों की वापसी स्वागत योग्य घटनाक्रम है लेकिन यह प्रदर्शनकारी किसानों की मात्र पहली जीत है. हम अन्य मांगों पर उठाए जाने वाले कदम का इंतजार करेंगे.’’ कविता एसकेएम की सदस्य हैं. हालांकि, राष्ट्रीय किसान मजदूर सभा के प्रतिनिधि और किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मंत्रिमंडल से मिली मंजूरी को ‘बड़ा दिन’ करार दिया और कहा कि इससे सरकार का रुख ‘ आधिकारिक’ हो गया है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *