डंका न्यूज डेस्क
रायपुर। राजधानी में एक बार फिर शर्मसार कर देने वाला मामला सामने आया है यहाँ 4 दिनों से थानों के चक्कर लगा रही बलात्कार पीड़िता की ना ही एफआईआर दर्ज की जा रही है ना ही आरोपी को गिरफ्तार किया गया है। इतना ही नहीं अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (शहर) तारकेश्वर पटेल के निर्देश के बावजूद थाना प्रभारी मामले को अनदेखा कर रहे हैं, इससे साफ जाहिर होता है कि राजधानी में पदस्थ पुलिस अधिकारी किस प्रकार से अपने काम के प्रति लापरवाही बरत रहे है।
आपको बता दें कि शंकर नगर निवासी 21 वर्षीय युवती पिछले 9 साल से बलवान बाहुबली अवंती विहार निवासी कैफ़े संचालक युवक के साथ रिलेशन में थी जिसके बाद उसे शादी का झांसा देकर 28 वर्षीय युवक ने शारीरिक शोषण किया और अब कहीं और शादी कर युवती से मारपीट करते हुए बीच में आने पर उसे जान से मारने की धमकी दी।
4 दिनों से काट रही है आधा दर्जन थाने के चक्कर
जानकारी के अनुसार युवक अपराधिक प्रवृत्ति का है व एक हत्या के मामले में आरोपी भी रह चुका है जिसके चलते पुलिस इस बाहुबली पर शिकंजा कसने से कतरा रही है। पीड़ित युवती ने बताया कि वह तकरीबन 4 दिनों से आधा दर्जन थाने जा चुकी है परंतु कभी घटनास्थल, तो कभी युवती के निवास, तो कभी युवक के निवास, तो कभी मिलने के स्थान का हवाला देते हुए सभी पुलिस अधिकारी अपना पल्ला झाड़ रहे हैं।
उच्च अधिकारियों के निर्देश का भी नहीं हुआ कोई असर
मामले में संज्ञान लेते हुए जब एएसपी रायपुर तारकेश्वर पटेल ने महिला थाना प्रभारी को एफआईआर करने व तत्काल आरोपी की गिरफ्तारी करने के निर्देश दिए, उसके 24 घंटे बीत जाने के बाद भी अब तक थाना प्रभारी के कान में जूं नहीं रेंगी, इससे साफ नजर आता है कि किस प्रकार से राजधानी में पदस्थ थाना प्रभारी अपने उच्च अधिकारियों के निर्देश का पालन नही करते और अपनी मनमर्जी करते हुए युवती को परेशान करने की नीयत से उल्टा उसे ही जबरन 4 बार आवेदन लिखवाकर प्रताड़ित किया जा रहा है।
आत्महत्या करने है मजबूर
पीड़ित युवती ने बताया कि उसके माता पिता की मृत्यु हो चुकी है व अब युवक द्वारा लगातार परेशान करने के कारण उसकी नौकरी भी छूट गई है, अगर पुलिस उसे न्याय नहीं दिला सकती तो वह आत्महत्या करने मजबूर है जिसका जिम्मेदार केवल रायपुर पुलिस प्रशासन होगा।
बलात्कार पीड़िता की तत्काल एफआईआर लिखने का सुप्रीम कोर्ट का आदेश
ज्ञात हो कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश अनुसार किसी भी बलात्कार पीड़िता की थाने में तत्काल एफआईआर लिख कर मामले को गंभीरता से लेते हुए आरोपी की गिरफ़्तारी की जानी चाहिए। कोर्ट के अनुसार इसके बाद मामले की बारीकी से जांच कर पीड़ित महिला को न्याय दिलाने पुलिस को तत्परता से सभी सबूत इकट्ठे कर संबंधित न्यायालय में चालान के तौर पर पेश किया जाना चाहिए। पर छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में न्याय की गुहार लगाते शायद पीड़ित की मौत हो जाए, क्योंकि मामले की जांच और आरोपी की गिरफ़्तारी तो दूर, पुलिस FIR लिखने में ही बाहुबली हत्या के आरोपी के सामने झुकती नज़र आ रही है।
पास्को एक्ट के तहत बिना किसी रुकावट के दर्ज होना था अपराध
नाबालिकों से हुए शारीरिक शोषण जैसे अपराधों के लिए कानून में पास्को एक्ट बनाया गया है जिसके तहत आरोपी को कठोर कारावास की सज़ा सुनाई जाती है। इस मामले में भी पीड़िता का पिछले 9 वर्ष से जब वह नाबालिक थी, तब से ही शारीरिक शोषण होता आ रहा है। ऐसे मामलों में पुलिस को बलात्कार के साथ ही पास्को एक्ट की धाराओं के तहत मामला दर्ज करना चाहिए परंतु रायपुर पुलिस अपने कर्तव्यों का सही तरीके से निर्वहन करती नज़र नही आ रही है।