डॉक्टरों द्वारा मरीजों के लिए जेनेरिक दवाइयां न लिखे जाने के मामले में आरटीआई एक्टिविस्ट ने हाईकोर्ट में लगाई जनहित याचिका

बिलासपुर. हॉस्पिटल में डॉक्टरों द्वारा जेनेरिक दवाइयां नही लिखे जाने का मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है. मामले में चीफ जस्टिस की डबल बैच ने केंद्र व राज्य सरकार को नोटिस जारी कर 10 हफ्ते के अंदर जवाब मांगा है.

डॉक्टरों द्वारा मरीजों के लिए जेनेरिक दवाइयां न लिखे जाने के मामले में कोरबा के आरटीआई एक्टिविस्ट लक्ष्मी चौहान ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाई है. याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार के निर्देश पर मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने 2016 में डॉक्टरों को जेनेरिक दवाइयों को अनिवार्य करने निर्देश दिए थे और 21 अप्रैल 2017 को नोटिफिकेशन जारी किया था. इसके मुताबिक सभी शासकीय और प्राइवेट हॉस्पिटल के डॉक्टरों को सिर्फ जेनेरिक दवाइयां ही लिखने कहा गया है, लेकिन राज्य के सरकारी और प्राइवेट अस्पताल के डॉक्टर प्रिस्क्रिप्शन में जेनेरिक दवाइयां नहीं लिख रहे हैं.
जेनेरिक दवाई लिखने का आदेश जारी करने की मांग
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में मांग की है कि प्रदेश में जेनेरिक दवाई लिखने को अनिवार्य कर राज्य शासन आदेश जारी करे. मामले में हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस अरूप कुमार गोस्वामी और जस्टिस आरसीएस सामंत की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई.

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