नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में व्यवस्था दी है कि पिता की स्वअर्जित संपत्ति में उसकी बेटी का बेटे के बराबर एक समान हिस्सा होगा। जस्टिस एसए नजीर और विक्रम नाथ की पीठ ने सोमवार को एक फैसले में यह व्यवस्था देते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट का फैसला निरस्त कर दिया, जिसमें बेटी का इस संपत्ति में सिर्फ एक चौथाई हिस्सा देने का आदेश दिया गया था।
क्या है मामला
मामले के अनुसार, पुतन्ना की एक बेटी और एक बेटा थे. पुत्तना के पास दो संपत्तियां थी, एक पैतृक, जो उन्हें अपने पिता की ओर से मिली थी और दूसरी एक कृषि भूमि थी। जो उन्होंने अपने जीवन काल में खुद अर्जित की थी। 1974 में पुतन्ना की मृत्यु के बाद बेटी ने 1990 में संपत्ति में बंटवारे के लिए वाद दाखिल किया। ट्रायल कोर्ट ने पैतृक संपत्ति में सौकम्मा को एक चौथाई हिस्सा और स्वअर्जित संपत्ति में आधा हिस्सा देने का आदेश दिया।
इस फैसले को उसके भाई बसवराज ने सीपीसी की धारा-96 के तहत हाईकोर्ट में चुनौती दी और कहा कि पिता की स्वअर्जित संपत्ति में सौकम्मा को हिस्सा नहीं मिलना चाहिए, क्योंकि इस भूमि पर वह पिता के साथ खेती करता रहा है। यह जमीन संयुक्त रूप से उन दोनों के पास ही रही थी। भूमि आयुक्त के पास एक मुकदमे में पिता के बाद उसे पक्ष बनाया गया था। वहीं, पिता ने सौकम्मा की शादी के लिए काफी पैसा खर्च किया था। उसे एक एकड़ भूमि अलग से खरीद कर दी थी. इसलिए वह इस संपत्ति में हिस्सा नहीं मांग सकती।
ट्रायल कोर्ट के फैसले को सही ठहराया
हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को पलट दिया। उसे स्वअर्जित संपत्ति में एक चौथाई हिस्सा देने का आदेश दिया. इस फैसले के खिलाफ सौकम्मा सुप्रीम कोर्ट आई थी। कोर्ट ने कहा कि संपत्ति स्वअर्जित है। इसमें पुत्री का बराबर का हिस्सा होगा। यह कहकर कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को सही ठहराया।