केंद्र सरकार देश की सीमाओं और युवाओं के भविष्य के साथ क्यों खिलवाड़ कर रही है: भूपेश बघेल


रायपुर. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शुक्रवार को केंद्र सरकार की ‘अग्निपथ’ योजना को लागू करने की मंशा पर सवाल उठाया और पूछा कि वह देश की सीमाओं और युवाओं के भविष्य के साथ क्यों खिलवाड़ कर रही है. बघेल ने इस योजना को तत्काल वापस लेने की मांग करते हुए कहा कि हथियारों में प्रशिक्षित युवा चार साल के कार्यकाल के बाद बेरोजगार हो जाने पर आपराधिक गतिविधियों में लिप्त हो सकते हैं.

केंद्र सरकार ने दशकों पुरानी रक्षा भर्ती प्रक्रिया में आमूलचूल परिवर्तन करते हुए सेना के तीनों अंगों में सैनिकों की भर्ती संबंधी ‘अग्निपथ’ योजना की मंगलवार को घोषणा की थी, जिसके तहत सैनिकों की भर्ती चार साल की अवधि के लिए संविदा आधार पर की जाएगी. योजना के तहत चयन के लिए पहले पात्रता आयु साढ़े 17 वर्ष से 21 वर्ष के बीच तय की गई थी. बाद में सरकार ने ऊपरी आयु सीमा को केवल इस वर्ष के लिए 21 से बढ़ाकर 23 वर्ष करने का निर्णय लिया. भर्ती के बाद सेना में शामिल युवाओं को ‘अग्निवीर’ नाम दिया जाएगा.

‘अग्निपथ’ योजना के खिलाफ देश के कई हिस्सों में चल रहे विरोध के बारे में पूछे जाने पर बघेल ने संवाददाताओं से कहा, ”सशस्त्र बलों में पूर्णकालिक भर्ती क्यों नहीं की जा रही है? क्या आप (केंद्र) यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि हमारे देश की रक्षा करने वाली सेना में भर्ती के लिए आपके पास पैसे नहीं हैं. देश की सेवा करने की भावना के साथ युवा सशस्त्र बलों में शामिल होते हैं. आप उनके भविष्य और देश की सीमाओं के साथ क्यों खिलवाड़ कर रहे हैं? एक तरफ आप देश की संपत्ति बेच रहे हैं और दूसरी तरफ आपके पास सेना में भर्ती के लिए पैसे नहीं हैं. आपको इस स्थिति पर एक श्वेत पत्र जारी करना चाहिए.”

उन्होंने भाजपा शासित राज्यों की भी आलोचना की, जिन्होंने पुलिस भर्ती और संबंधित सेवाओं में ‘अग्निवीर’ को प्राथमिकता देने की घोषणा की है, और कहा, ”सेना और पुलिस दो अलग-अलग पेशे हैं. पुलिस कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए है जबकि सेना रक्षा के लिए है. एक फौजी सिर्फ दो चीजें जानता है – दोस्त और दुश्मन. दुश्मन सामने दिखे तब उसे खत्म करना है. उसे दुश्मन से युध्द करना है, उससे लड़ाई करना है. पुलिस को मुख्य रूप से कानून और व्यवस्था बनाए रखने का काम सौंपा जाता है और इसे इससे नहीं जोड़ा जा सकता है. दोनों के प्रशिक्षण अलग-अलग हैं. फिर आप गुमराह करने की कोशिश क्यों कर रहे हैं (यह कहकर कि पुलिस भर्ती में ‘?अग्निवीरों’ को प्राथमिकता दी जाएगी).”

मुख्यमंत्री ने कहा, ”क्या सेवामुक्त किए गए सभी अग्निवीरों को उनका कार्यकाल पूरा होने के बाद पुलिस के रूप में भर्ती करना संभव होगा. जिन्हें नौकरी नहीं मिलेगी उनका क्या होगा? आप समाज को किस दिशा में ले जा रहे हैं? आपका इरादा सही नहीं लग रहा है? उन्हें (अग्निवीर) हथियारों का प्रशिक्षण दिया जाएगा और अगर आप उन्हें इस तरह बीच में छोड़ देते हैं तो वे गिरोह बनाकर आपराधिक गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं.”

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