सरदार पटेल ने दूरदर्शिता से एक मजबूत और एकजुट भारत के सपने को साकार किया-प्रो. निगम


भिलाई. श्री शंकराचार्य प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी भिलाई के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग द्वारा युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय एकता दिवस के अंतर्गत दिनांक 31/10/2022 को सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती के अवसर पर सरदार पटेल के जीवनी से संबधित चित्रों की प्रदर्शनी लगाई गई। सरदार पटेल की चित्रों की प्रदर्शनी का उद्घाटन प्रो. डॉ. एल.एस. निगम, कुलपति श्री शंकराचार्य प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी भिलाई द्वारा किया गया। इस अवसर पर प्रो. निगम ने सरदार वल्लभभाई पटेल को उनकी 147वीं जयंती पर याद करते हुए कहा कि इन्होनें अपनी दूरदर्शिता से एक मजबूत और एकजुट भारत के सपने को साकार किया। उन्होंने बताया कि वर्ष 1917 में वे महात्मा गांधी से मिले और गांधी से प्रेरित होकर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हो गए। वर्ष 1920 में सरदार पटेल गुजरात प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बने और उन्होंने शराबबंदी, छुआछूत एवं जातिगत भेदभाव आदि के विरुद्ध दृढ़ता से कार्य किया। वल्लभ भाई पटेल ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान वर्ष 1928 में गुजरात में एक प्रमुख किसान आंदोलन का नेतृत्त्व किया, जिसकी सफलता के बाद उन्हें ‘सरदार’ की उपाधि प्रदान की गई थी। सरदार पटेल ने लगभग 565 रियासतों को भारतीय संघ में शामिल करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। त्रावणकोर, हैदराबाद, जूनागढ़, भोपाल और कश्मीर जैसी कुछ रियासतें भारत राज्य में शामिल होने के खिलाफ थीं। सरदार पटेल ने रियासतों के साथ आम सहमति बनाने के लिये अथक प्रयास किया लेकिन जहाँ भी आवश्यक हो, साम, दाम, दंड और भेद के तरीकों को अपनाने में संकोच नहीं किया। कुलपति प्रो. निगम ने कहा कि उन्होंने नवाब द्वारा शासित जूनागढ़ और निज़ाम द्वारा शासित हैदराबाद की रियासतों को जोड़ने के लिये बल का प्रयोग किया था, ये दोनों अपने-अपने राज्यों का भारत संघ के साथ विलय नहीं होने देना चाहते थे।सरदार वल्लभभाई पटेल ने ब्रिटिश भारतीय क्षेत्र के साथ-साथ रियासतों का बिखराव और भारत के बाल्कनीकरण को रोका। सरदार वल्लभभाई पटेल ने रियासतों को ब्रिटिश भारतीय क्षेत्र के साथ एकजुट किया, जिससे भारत को खंडित होने से रोका गया। उन्हें भारतीय रियासतों के एकीकरण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने और रियासतों के भारतीय संघ के साथ गठबंधन करने हेतु राजी करने के लिये “भारत के लौह पुरुष” के रूप में जाना जाता है। इस अवसर पर यूनिवर्सिटी परिवार के विद्यार्थियों, प्राध्यापकों, अधिकारियों एवं कर्मचारियों की गरिमामई उपस्थिति रही।

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