प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अदालत में पेश किया अभियोजन परिवाद


रायपुर। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने छत्तीसगढ़ में कथित कोयला लेवी घोटाले से जुड़े धनशोधन के एक मामले में शुक्रवार को यहां एक विशेष अदालत में अभियोजन परिवाद पेश किया. इस मामले में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के एक अधिकारी तथा तीन अन्य लोगों को आरोपी बनाया गया है.

निदेशालय ने आज अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश अजय सिंह राजपूत की अदालत में धन शोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत आठ हजार पन्नों का अभियोजन परिवाद प्रस्तुत किया. इसमें आईएएस अधिकारी समीर विश्नोई, कोयला व्यापारी सूर्यकांत तिवारी, उनके चाचा लक्ष्मीकांत तिवारी और एक अन्य व्यवसायी सुनील अग्रवाल को आरोपी बनाया गया है.

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने परिवाद में उल्लेख किया है कि वरिष्ठ अधिकारियों, व्यापारियों, राजनेताओं और बिचौलियों से जुड़े एक गिरोह द्वारा राज्य में कोयला परिवहन के लिए 25 रुपये प्रति टन की अवैध उगाही की जा रही थी. इसमें बेनामी लेनदेन से खरीदी गई जमीनों का भी जिक्र है.

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने राज्य में छापेमारी के दौरान अक्टूबर में 2009-बैच के छत्तीसगढ़-कैडर के आईएएस अधिकारी विश्नोई, कोयला व्यापारी सूर्यकांत तिवारी, उनके चाचा लक्ष्मीकांत तिवारी और एक अन्य व्यवसायी सुनील अग्रवाल को धन शोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत गिरफ्तार कर लिया था. ईडी ने आयकर विभाग की एक शिकायत का संज्ञान लेने के बाद धनशोधन जांच शुरू की थी.

ईडी ने एक बयान में दावा किया था कि छत्तीसगढ़ में कोयले की ढुलाई में ‘भारी घोटाला’ हो रहा है, जिसके तहत राज्य में कोयला परिवहन पर 25 रुपये प्रति टन की अवैध उगाही की जा रही है. उसके अनुसार इसमें नौकरशाह, व्यापारी, राजनेता और बिचौलिए शामिल हैं. ईडी ने दो दिसंबर को इसी मामले में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कार्यालय में पदस्थ उप सचिव सौम्या चौरसिया को गिरफ्तार किया था. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने चौरसिया की गिरफ्तारी को ‘राजनीति से प्रेरित’ कहा था.

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